नई दिल्ली, 07 जनवरी। भारत में कोरोना वैक्सीन की लांचिंग के बाद अब एक और बड़ी खबर सुनने को मिल रही है। भारतीय दवा कंपनी भारत बायोटेक देश में जल्द ही नेज़ल वैक्सीन( Nasal Vaccine) का ट्रायल शुरू करने जा रही है। इसकी सफलता के बाद कारोना को खत्म करने के लिए इंजेक्शन के बजाय नाक से सुंघने वाली वैक्सीन ही काफी होगी। मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि नागपुर में इस वैक्सीन के पहले और दूसरे फेज का ट्रायल शुरू किया जाने वाला है। ज्ञात रहे कि नेज़ल वैक्सीन को नाक के जरिए दिया जाता है, जबकि अभी तक भारत में जिन दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी मिली है वो इंजेक्शन के जरिये दी जाती है।
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने मंगलवार को दावा किया कि देशभर के चार शहरों में किए गए क्लीनिकल परीक्षण में पंचगव्य और आयुर्वेद उपचार के माध्यम से कोविड-19 के 800 मरीजों को ठीक किया गया। कथीरिया ने गऊ विज्ञान पर अगले महीने आयोजित की जाने वाली पहली राष्ट्रीय परीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि जून और अक्टूबर 2020 के बीच राज्य सरकारों और कुछ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की साझेदारी में राजकोट और बड़ौदा (गुजरात), वाराणसी (उत्तर प्रदेश) और कल्याण (महाराष्ट्र) में 200-200 मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल किए गए थे।
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कोरोना वायरस जैसी महामारी के संभावित खतरे को भांपते हुए वैज्ञानिकों ने कुछ जंगली जानवरों में मौजूद विषाणुओं की पहचान करनी शुरू कर दी है। पहले चरण में चमगादड़ में मौजूद जानलेवा विषाणुओं को इकट्ठा करने और उनका अध्ययन करने का अभियान शुरू किया गया है। ताकि समय रहते उनसे बचाव के उपायों पर रिसर्च हो सके। यह बीड़ा ब्राजील में संचालित फिरोज्ज इंस्टीट्यूट ने उठाया है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि चमगादड़ कोरोना (COVID-19) के प्रकोप से जुड़ा था। इसके लिए ब्राजील की टीम ने पेड्रा ब्रांका पार्क को चुना है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्र है जहां वायरस के फैलने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है।
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चाय तो हम हर रोज पीते हैं। चाय की हर चुस्की हमें तरोताजा करती है। लेकिन रोजाना चाय के इस्तेमाल के कई और फायदों के बारे में आप नहीं जानते होगें। चाय का एक फायदा यह भी है कि ये आपके बालों को चमकदार और काले बनाने में भी बहुत कारगर पेय माना गया है। बस आपको चाय के इस्तेमाल में थोड़ा सा बदलाव करना होगा। इससे न केवल आपके बाल चमकदार होंगे बल्कि काला और मुलायम भी बनेंगे। तो आइए जानते हैं कौन सी चाय कैसे आपकी खूबसूरती बढ़ाने में मदद करेगी।
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सोलन, 11 नवंबर। हिमाचल प्रदेश से प्राचीन भारतीय सर्जरी का नाता रहा है। वैसे तो आयुर्वेद का उद्गम स्थल भी हिमालयी प्रदेशों हिमाचल-उत्तरांचल माना गया है। वेदों में वर्णित है कि प्राचीन काल में आरोग्य को लेकर प्रथम संगोष्ठी हिमालयी प्रदेशों हिमाचल उत्तरांचल की तराई में आयोजित की गई थी। पहले समय में कई अपराध करने के दंड स्वरूप कान, नाक, हाथ, पैर आदि काटने की सजा सुनाई जाती थी। हिमाचल का त्रिगर्त क्षेत्र (वर्तमान कांगड़ा जिला) शल्य चिकित्सा विशेषकर प्लास्टिक सर्जरी का विख्यात केंद्र हुआ करता था। यहां पर कटे हुए कान, नाक आदि को गढ़ने का काम आयुर्वेद शल्य चिकित्सा तज्ञ ‘‘कनेहड़े- कनेड़े’ किया करते थे। कालांतर में कान नाक गढ़ने तथा कनेड़ों के कारण ही त्रिगर्त का नाम ‘कांगड़ा’ पड़ गया। अभी भी उन कनेड़ों के वंशज कांगड़ा क्षेत्र में ढूंढ़े जा सकते हैं।
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चाय...नाम छोटा सा है लेकिन यह सुनते ही एक अलग ही लालच जग जाता है। झट से थकान से छुटकारा मिल जाने का ख्याल हमारे मन में कौंध जाता है। बस तुरंत एक कप चाय हाथ में आए और बस गटक जाएं। जब हाथ में चाय की प्याली आती है तो इसका स्वाद चखने का कोतूहल शांत करने की जल्दबाजी में हम कभी मुंह को भी झुलसा लेते हैं, लेकिन यह चाय के स्वाद का ही कमाल है जो बरबस ही हमसे ऐसा करवा देता है।
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आज की भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हमेशा बनी रहती है। ऐसे में पोषक तत्वों से भरपूर मौसमी फल यह कमी पूरी करने में हमेशा कारगर साबित होते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी माने जाते हैं।
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मौसम अब करवट ले चुका है सर्द हवाओं ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। ऐसे सर्द मौसम में आपकी त्वचा को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। क्योंकि त्वचा में रूखापन भी आना शुरू हो गया है। वैसे तो त्वचा के रूखेपन को दूर करने के लिए बाजार में बहुत सारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स आते हैं मगर इनका असर स्थाई नहीं होता।
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कोलेस्ट्राल कोरोना के मरीजों के लिए घातक साबित हो रहा है। चीनी के वैज्ञानिकों की रिसर्च में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दिल और शूगर के मरीजों को कोरोना का खतरा ज्यादा है। और इसकी मुख्य वजह बढ़ता कोलेस्ट्राल बताई गई है।
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हिमाचल प्रदेश अपनी स्थापना का 50 वां वर्ष मना रहा है। इन 50 वर्षों के सफर में हिमाचल प्रदेश ने विकास की न केवल एक लंबी गाथा लिखी है बल्कि इस छोटे से पहाड़ी प्रदेश ने देश के भीतर भी अपनी अलग पहचान बनाई है। शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं एवं आधारभूत ढांचे में व्यापक परिवर्तन हुआ है। इसी विकास गाथा में जिला बिलासपुर ने भी अनेक आयाम स्थापित किये हैं। बिलासपुर जिला भले ही भौगोलिक दृष्टि से महज एक छोटा जिला है लेकिन विकास के मामले में आज यहां राष्ट्रीय स्तर के न केवल अनेक संस्थान स्थापित हुए हैं बल्कि भाखडा बांध निर्माण में इस जिला ने बड़ी कुर्बानी देकर देश को रोशन किया है तथा उत्तरी भारत के करोड़ों लोगों की प्यास बुझाई है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी बिलासपुर जिला (तत्कालीन कहलूर रियासत) ने भी ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि में हिमाचल के संदर्भ में कई मुकाम दर्ज करवाएं है। लेकिन वर्तमान में यदि पिछले 50 वर्षों का अवलोकन करें तो बिलासपुर जिला एक के बाद एक विकास के नए-नए पायदान चढ़ता जा रहा है जिसमें जिला में स्थापित होने जा रहा अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान शामिल है।
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नशीले पदार्थों के सेवन से बचने के लिए निम्न उपाय अपनाएं– इसके लिए आप अपने मन में नशे की लत को छोड़ने की ठान लीजिए। मन में प्रबल इच्छा होना जरूरी है। पुनर्वास केंद्र/ नशा मुक्तिकेंद्र (Rehabilitation Centre) में भर्ती होना अच्छा विकल्प है। वहां पर और भी लोग आते हैं। सबका इलाज एक साथ डॉक्टरों की देखरेख में किया जाता है। समूह चिकित्सा (Group Therapy) में मरीज का इलाज किया जाता है।
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शिमला, 20 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश को स्वास्थ्य सुविधाओं में अग्रणी बनाने की दिशा में राज्य सरकार उत्कृष्ट कार्य कर रही है जिसे भारत सरकार ने भी समय-समय पर सराहा है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में राज्य से एड्स का उन्मूलन करने के लिए प्रतिबद्ध है। थ्री जीरो यानी जीरो संक्रमण, जीरो मौत और जीरो भेदभाव के लक्ष्य को लेकर सरकार ने एड्स के खिलाफ एक निर्णायक मुहिम की शुरुआत की है। प्रदेश को एड्स मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार के ऐतिहासिक कदम जैसे ‘‘जांच और उपचार’’ और ‘‘मिशन सम्पर्क’’ बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। एचआईवी जांच इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू है। एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें एंटीरेट्रो वायरल थेरेपी से जोड़ना इस दिशा में सबसे पहला कदम है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रदेश में हर वर्ष लगभग तीन लाख एचआईवी जांच की जा रही हैं। प्रदेश में 45 एकीकृत जांच एवं परामर्श केंद्रों (आईसीटीसी) के अतिरिक्त दो मोबाइल आईसीटीसी के माध्यम से भी एचआईवी जांच सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेशवासियों को घर-द्वार पर जांच सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर तक जांच सुविधा उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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