लोकतंत्र के अपने मजे हैं। भाजपा की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी का सीएम को लिखा पत्र लीक हुआ। पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली। आरोपों की बौछार हुई। फिर पत्रकारों ने ही मीडिया ट्रायल शुरू कर किया। पत्रकार ही पक्ष-विपक्ष में बंट गये। एक पक्ष ने इसे एक नया घोटाला बताया तो दूसरे पक्ष ने मीडिया ट्रायल में बता दिया कि भाई बजट ही नहीं है तो आरोपी ने कुछ खाया नहीं। लाॅजिकल बात करो। यानी आरोपी को किसी विभागीय जांच या अन्य किसी पूछताछ के ही बेनिफिट आफ डाउट का लाभ मिल गया। आरोपी के स्पष्टीकरण से पहले ही आरोपी को क्लीन चिट दे दी गई। आरोपी ने 12 तारीख को सचिव को पत्र लिखा और वो सचिव तक पहुंचने से पहले सोशल मीडिया में लीक हो गया।
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बहुत सोचा, क्या सलाह दूं, अपना तो हर समय बजट खराब रहता है। जलन हो रही है नेताओं से। क्षेत्र में जाना नहीं और दुनिया भर के भत्ते, मुफ्त का मकान-फ्री-बिजली पानी, नौकर-चाकर, क्यों न ऐसा हो कि जब नेताजी काम नहीं करें तो उनका वेतन-भत्ते काट दिये जाएं। विकास कार्यों पर कमिशन और कमीशन कू मीट-भात पर जांच बिठाई जाएं। जब 33 साल सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिलेगी तो पांच साल कमीशन और भ्रष्टाचार करने वाले नेताओं को पेंशन क्यों? मुझे लगता है कि कम से कम ऐसा करने से राजकोषीय घाटे में कमी तो आएगी। नेता कमा तो दूसरे माध्यम से लेंगे।
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मंडी, 09 जनवरी। आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एनएवीएच प्रमाण पत्र से गौरवान्वित हिमाचल प्रदेश के दूसरे प्राकृतिक स्वास्थ्य केंद्र हाट स्प्रिंग तत्तापानी के प्रबंधक प्रेम रैना समाज सेवा,धर्म संस्कृति और पर्यटन के लिए समर्पित हैं। राजकीय महाविद्यालय संजौली शिमला से सनातक की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा के बाद 20 वर्ष की आयु में प्रेम रैना होटल व्यवसाय से जुड़ गए। हॉट स्प्रिंग होटल सतलुज नदी के किनारे था यहीं से अपने व्यवसाय की शुरूआत करने वाले प्रेम ने तत्तापानी की पहचान देश विदेश में फैलाई। इस छोटे से होटल में ही प्रेम ने अपने व्यवसाय को वृहद स्वरूप लिखने की पटकथा लिखनी आरम्भ की। दृढ़ मनोबल के सहारे श्रद्धा, भक्ति तथा निष्काम भाव से अपने इस होटल में प्रेम ने आयुर्वेद और योग को भी पर्यटकों को सुलभ बनाया।
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कोटद्वार। दो जनवरी। दोपहर के लगभग दो बजे। मोटाढांग स्थित बलूनी पब्लिक स्कूल से सटे लगभग 30 बीघा जमीन में शहतूत की कलम रोपी जा रही हैं। अब तक सवा दो लाख कलम रोपी जा चुकी हैं। लक्ष्य है तीन लाख कलम रोपने का। मेढ़ बनाकर कलमों को खेत में सिंचाई की जा रही है। अचानक एक खेत पानी से लबालब हो गया और खेत का पानी मेढ़ तोड़कर दूसरी ओर जाने लगा। वहां कई कर्मचारी मौजूद थे। बलूनी ग्रुप के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी ने इसे देखा तो फौरन वहां पर पहुंचे और फावड़ा लेकर मेढ़ को बचाने में जुट गये। यह छोटी सी बात थी लेकिन इसके पीछे एक मर्म और सफलता का मंत्र छिपा हुआ है कि शिखर पर पहुंचने के बाद भी अपनी जड़ों से जुड़े रहो। यही विनम्रता व्यक्ति को आगे बढ़ाने का काम करती है।
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कांग्रेस के भावी अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने एक टिप्पणी की है कि वो पार्ट टाइम पालिटिक्स करते हैं और फुल टाइम पर्यटन। राहुल गांधी इन दिनों इटली में अपनी नानी के पास हैं। वो कांग्रेस के 136वें स्थापना दिवस से ठीक पहले इटली रवाना हो गए। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सफाई दी कि वो अपनी बीमार नानी को देखने गए हैं। क्या ये गलत है? उन्होंने भाजपा पर तुच्छ राजनीति करने का आरोप लगाया।
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किसानों के आंदोलन को अब एक महीने से अधिक का समय हो गया है और केंद्र सरकार का जो रवैया है वो किसानों और देश दोनों के लिए घातक है। इस कड़कती ठंड में किसान सड़कों पर है और 40 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो गए हैं। सरकार चुप्पी लगाए बैठी है और इसका कोई समाधान नहीं कर रही है। जिद्द पर अड़ी केंद्र ने किसानों से कई बार की वार्ता में कानून में व्याप्त कई खामियों का माना है, जिसमें वह संशोधन के लिए भी तैयार है।
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-निशिकांत ठाकुर
मैंने अपने कई लेखों में यह लिखा है और यह सच भी है। इसलिए उसे फिर से दोहरा रहा हूं कि किसी भी समस्या का समाधान युद्ध से नहीं होता है। यदि युद्ध होता है, तो विनाश निश्चित है और परिणाम वहीं लौटकर बातचीत और समझौते पर ही खत्म होता है। हम पलटकर वर्षों पहले की बात देखें, तो इतिहास और हमारे ग्रंथ यही बताते हैं कि यदि समझौते से बात बन गई होती, तो राम - रावण युद्ध नहीं हुआ होता, जिसमें राक्षस कुल का समूल नाश हो गया। यदि युद्ध के दूरगामी परिणाम को महाभारत काल में सोचा गया होता तो लाखों योद्धाओं के खून की नदियां नहीं बही होती। कुरु कुल का नाश नहीं हुआ होता। आधुनिक काल में हमने हिरोशिमा और नागासकी को करीब से देखा है। अपने जापान यात्रा के दौरान मैंने वहां विनाश लीला की दारूण कथा को करीब से देखा और समझा है। असल में ये मात्र कुछ उदाहरण हैं। इतिहास और अपने ग्रंथों में हजारों ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं कि युद्ध से बिनाश ही होता है। किसी एक पक्ष की जो जीत होती है, वह तात्कालिक क्षणिक ही होती है।
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आज दोपहर (बुधवार को) देहरादून के पहले मल्टीस्पेश्यिलिटी हाॅस्पिटल दून नर्सिंग होम के संस्थापक डा. जयंत नवानी के केबिन में बैठा था। अचानक पांच निहंग कैबिन में आए और उन्होंने डा. नवानी को सरोपा भेंट किया। पांचों निहंग रेसकोर्स गुरुद्वारे से आए थे और लंगर के लिए डा. नवानी से इमदाद लेने आए थे। डा. नवानी ने जो बोले, सो निहाल, सत श्री अकाल कहने के बाद उनकी मदद की।
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पूर्व कर्नल अजय कोठियाल ने उत्तराखंड के हजारों सैन्य अफसरों के बीच में अपनी एक अलग छवि बनाई है। कर्नल कोठियाल ने सेना में रहते हुए पाक घुसपैठियों और आतंकवादियों के साथ लोहा लिया है। उनकी वीरता और देशभक्ति का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि कश्मीर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में उनके शरीर में दो गोलियां लगी थी जो आज भी शरीर के अंदर ही हैं। बदले में उन्होंने सात आतंकवादियों को मार गिराया था। कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल विजेता कर्नल कोठियाल ने केदारनाथ को दोबारा से बसाने में अहम भूमिका अदा की। यही नहीं व अब तक यूथ फाउंडेशन के माध्यम से दस हजार से भी अधिक सैनिक दे चुके हैं। मौजूदा समय में म्यांमार में देश के लिए एक अहम प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
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आम आदमी पार्टी ने विगत दो-तीन महीने में ही उत्तराखंड में अच्छी धमक जमा ली है। भले ही अभी राजनीति दल आप की मौजूदगी को गंभीरता से नहीं ले रहे हों, लेकिन यह भाजपा-कांग्रेस के लिए खतरे की झंडी है। आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से दिल्ली की राजनीति में इन दोनों दलों का सफाया किया, उससे कहीं न कहीं भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के माथे पर सलवटें नजर आ रही हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों आप को कुछ हजार वोटों की मेहमान पार्टी बता रहे हैं, लेकिन राजनीति में तो एक-एक वोट की कीमत होती है। कुछ हजार वोट भाजपा-कांग्रेस के किसी भी उम्मीदवार की बाजी को पलटने के लिए काफी है।
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पता नहीं इतनी सी बात सत्तासीन लोगों को समझ में क्यों नहीं आ रही कि यदि किसान की गाय-भैंस दूध नहीं देती तो मोदी जी चाय कैसे बेचते?
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शिमला, 07 दिसंबर। कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग का कार्य न केवल कैदियों को जेल के अन्दर बंद रखने अपितु कारावास की अवधि के दौरान इन्हें रचनात्मक व जीविकोपार्जन कार्य में व्यस्त रखते हुए इनका सुधार करना भी है। इससे वे अपनी इस कारावास अवधि का सदुपयोग करके नए-नए कार्य व हुनर सीखते हैं, जिससे जेल से छूटने के उपरांत अपनी न केवल आजीविका अर्जित कर सकें, अपितु परिवार की देखभाल कर सकें।
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