कानपुर, 09 जनवरी। भारतीय सेना को मजबूत करने के लिए कानपुर की एसएएफ लगातार नई तकनीक से लैस गनों का निर्माण कर रही है। इसी क्रम में एसएएफ ने एआरडी के साथ मिलकर विश्वस्तरीय जेवीपीसी कारबाईन का निर्माण किया है। यह कारबाईन वर्तमान सेना में शामिल अत्याधुनिक कारबाईन नाइन एमएम से भी बेहतर है। तीन किलो वजन वाली इस कारबाईन से अब सेना के जवान सरहद पर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देंगे।
रक्षा प्रतिष्ठान की कानपुर स्थिति लघु शस्त्र निर्माणी (एसएएफ) भारतीय सेना को अत्याधुनिक बनाने के लिए बराबर नई तकनीक के हथियारों को विकसित कर रही है। सेना को करीब 20 साल से ऐसी कारबाईन की तलाश थी जो हल्की होने के साथ ही फायरिंग में गर्म न हो। इसके साथ ही निशाना सटीक लगे और अवधि लंबी हो। इसको देखते हुए एसएएफ ने एआरडी के साथ विश्वस्तरीय कारबाईन बनाने का बीड़ा उठाया और जेवीपीसी नाम की अत्याधुनिक कार्बाइन का निर्माण कर दिया। यह कारबाईन सेना और एमएचए के सभी मानकों के ट्रायल को पूरा कर लिया है और जल्द ही सरहद में तैनात सैनिकों के कंधों पर दिखायी देगी।
लघु शस्त्र निर्माणी के अपर महाप्रबंधक तुषार त्रिपाठी ने शुक्रवार को बताया कि जेवीपीसी विश्वस्तीय कारबाईन है। इसके निर्माण में जिस तकनीक का प्रयोग किया गया है वह विश्व में कहीं के भी असलहों में नहीं है। इसकी मारक क्षमता सौ मीटर है और इसका वजन लगभग तीन किग्रा है। इस कारबाईन को एक हाथ से आसानी से चलाया जा सकता है और सिंगल फायर के साथ एक साथ भी फायरिंग बड़ी आसानी से की जा सकेगी। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि फायरिंग के दौरान गर्म नहीं होती। बताया कि वर्तमान में भारतीय सेना के पास अत्याधुनिक कारबाईन नाइन एमएम है, जिसकी तुलना में जेवीपीसी बहुत बेहतर है।
कानपुर लघु शस्त्र निर्माणी के अपर महा प्रबंधक तुषार त्रिपाठी ने बताया कि जेवीपीसी कारबाईन के आने से सेना की 20 सालों से नाइन मम कारबाईन की जगह लेने वाले हथियार की तलाश खत्म हो जाएगी। यह अगली पीढ़ी को देखते हुए तैयार की गई कारबाईन है। इसके मिलने से सैन्य शक्ति में इजाफा होगा और 100 मीटर मारक क्षमता के चलते सरहद पर इसकी रेंज में दुश्मनों की होने वाली किसी भी हरकत को मुहंतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।
लघु शस्त्र निर्माणी के अपर महा प्रबंधक ने बताया कि जेवीपीसी कारबाईन की लाइफ को बढ़ाने के लिए इसमें सैसाकोटा की कोटिंग की गई है। इस कोटिंग के चलते लगातार इस्तेमाल से बैरल व गन के ऊपरी हिस्से पर हीटिंग को कोई असर नहीं पड़ता है। साथ ही इसकी पॉलीशिंग भी बरकार रहती है। यह कोटिंग बैरल की स्मूथनेस को और बेहतर करती है। (सभार:हिंदुस्थान समाचार)