तीर्थन घाटी के दुर्गम गांव तक सड़क बनने से जगी उम्मीद
बाड़ासारी, सकीरण व लांबरीटॉप जैसे सुंदर स्थलों तक पहुंचना अब आसान
कुदरत का बहुत ही खूबसूरत खजाना छिपा है इन हसीन वादियों में
कुल्लू, 20 मार्च। करीब आठ हजार फुट की ऊंचाई पर पारंपरिक काष्ठकुणी शैली में बने लकड़ी व स्लेट की छतों वाले मकानों का सुंदर समूह। मकानों के इस सुंदर जमावड़े के ठीक बीचोंबीच स्थित है माता गाड़ादुर्गा, लक्ष्मी माता, जमदग्नि ऋषि, श्रृंगा ऋषि, अन्य देवी-देवताओं के मंदिर। इन्हीं के साथ है एक तालाब व छोटा सा हरा-भरा मैदान। कुछ इस तरह बसा है तीर्थन घाटी का दुर्गम लेकिन बहुत ही खूबसूरत गांव सरची। यहां से ठीक नीचे तीर्थन की संकरी घाटी, सामने दूर किन्नौर की बर्फीली पहाडिय़ों, बशलेऊ दर्रे, श्रीकोट की चोटियों और पीछे लांबरी टॉप व सकीरण की पहाडिय़ों के नजारे देखते ही बनते हैं।
(MOREPIC1)कई दशकों से इस गांव के बाशिंदे सड़क सुविधा से महरूम थे और बाहरी दुनिया भी इसकी खूबसूरती से अभी अपरिचित है। लेकिन, कुछ माह पूर्व ही इस गांव के सड़क से जुड़ जाने से न केवल यहां के बाशिंदों की दशकों पुरानी मांग पूरी हुई है, बल्कि क्षेत्र में नए पर्यटक स्थलों के उभरने की उम्मीद भी जगी है। तीर्थन घाटी के मुख्य केंद्र स्थल गुशैणी से ठीक ऊपर लगभग 18 किलोमीटर दूर गांव सरची तक सड़क बन जाने से देश-विदेश के सैलानियों का कुदरत के उस खूबसूरत खजाने तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त होगा जो अभी पर्यटन मानचित्र में अपना स्थान नहीं बना पाया है। या यूं कहें कि अब सरची से ऐसे नए सुंदर स्थल 'सर्चÓ हो सकते हैं जिनमें प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित होने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
वैसे तो पर्यटन के क्षेत्र में कुल्लू जिले का विश्व भर में अपना एक नाम है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मनाली, सोलंगनाला, रोहतांग, मणिकर्ण और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क आदि क्षेत्रों को वैश्विक पहचान मिली है लेकिन जिले में विशेषकर बंजार विधानसभा क्षेत्र में अभी भी कई ऐसे खूबसूरत इलाके हैं जो विश्व पर्यटन मानचित्र में पहचान बना सकते हैं। बस इनको पर्यटन की दृष्टि से संवारने व उभारने की जरूरत है और इसमें गांव सरची एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता है। हाल ही में गांव तक सड़क पहुंचने के बाद इन संभावनाओं को काफी बल मिला है।
(MOREPIC2)सरची से सकीरण जोत, लांबरी टॉप, सरयोलसर झील, जलोड़ी दर्रे व कई अन्य अनछुए सुंदर स्थलों तक बड़ी आसानी से ट्रैकिंग की जा सकती है। लांबरी टॉप की ओर ट्रैकिंग करते समय रास्ते में कई ऐसे रमणीय स्थल हैं जिन्हें देखकर हर कोई चकित हो जाता है। सरची से लगभग बीस मिनट पैदल चलने के बाद आते हैं बाड़ासारी व धरमाच के मैदान। सैकड़ों बीघा तक फैले ये हरे-भरे मैदान किसी गोल्फ कोर्स जैसे प्रतीत होते हैं। इन मैदानों के चारों ओर खड़े खरशू के पेड़ व उनके पत्ते सोने जैसे चमकते हुए ऐसे लगते हैं मानों वे इन वादियों का श्रंगार कर रहे हों। यहीं से थोड़ी दूरी पर लुहारटा में बर्फीले झरनों व चश्मों का जड़ी-बूटियों के रस से भरा शीतल जल किसी अमृत से कम नहीं लगता है। धार्मिक दृष्टि से भी ये वादियां बहुत महत्वपूर्ण हैं। क्षेत्र के कई देवी-देवता यहां स्नान के लिए आते हैं। बंजार क्षेत्र के मुख्य अधिष्ठाता श्रंगा ऋषि का मूल स्थान सकीरण जोत भी यहां से काफी नजदीक है। देवताओं के आगमन पर यहां की वादियां भक्तिरस से सराबोर हो जाती हैं।
इस क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य व पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए लगता है कि आने वाले वर्षों में सरची के रास्ते कई ऐसे नए पर्यटक स्थल विकसित होंगे जो विश्व मानचित्र में अपनी अलग पहचान बनाएंगे।
प्रस्तुति: अनिल गुलेरिया
सहायक लोक संपर्क अधिकारी, कुल्लू