नई दिल्ली, 28 अक्तूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन आसियान (एएसईएएन) की एकता और केन्द्रीयता भारत के लिए हमेशा से प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल माध्यम से आयोजित भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और हिंद प्रशांत के लिए आसियान का दृष्टिकोण इस क्षेत्र में उनके साझे नजरिए एवं आपसी सहयोग की रूपरेखा हैं।
उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत और आसियान के बीच हजारों साल से जीवंत संबंध रहे हैं और इनकी झलक हमारे साझा मूल्यों, परम्पराओं, भाषाओं, ग्रन्थों, वास्तुकला, संस्कृति, खान-पान से लेकर हर जगह दिखती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘इसलिए आसियान की एकता और केंद्रीयता भारत के लिए सदैव एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता रही है। आसियान की यह विशेष भूमिका, भारत की एक्ट ईस्ट नीति का हिस्सा है जो ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास) नीति में निहित है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत समुद्री पहल और आसियान का हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण इस क्षेत्र में ‘हमारे साझा दृष्टिकोण और आपसी सहयोग’ का ढांचा है। उन्होंने कहा कि 2022 में भारत और आसियान की साझेदारी को 30 वर्ष पूरे हो जाएंगे और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को ‘आसियान-भारत मित्रता वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आसियान के आगामी अध्यक्ष कंबोडिया और कंट्री को-ऑर्डिनेटर सिंगापुर के साथ मिलकर आपसी संबंधों को और गहन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के बीच आपसी सहयोग भारत और आसियान के संबंधों को भविष्य में मजबूत करता रहेगा। मोदी ने कहा कि ‘कोविड-19 महामारी के कारण हम सभी को अनेक चुनौतियों से जूझना पड़ा। लेकिन यह चुनौतीपूर्ण समय भारत-आसियान मित्रता की कसौटी भी रहा। कोविड के काल में हमारा आपसी सहयोग, आपसी संवेदना, भविष्य में हमारे संबंधों को बल देते रहेंगे, हमारे लोगों के बीच सद्भावना का आधार रहेंगे।’
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी, कोविड-19 व स्वास्थ्य, व्यापार, शिक्षा व संपर्क सहित अन्य प्रमुख क्षेत्रों में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। डिजिटल माध्यम से होने वाले इस सम्मेलन में आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष व सरकारों के मुखिया भाग ले रहे हैं। यह सम्मेलन प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो आसियान व भारत को शीर्ष स्तर पर संवाद का मौका प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में 17वें आसियान सम्मेलन में हिस्सा लिया था। इस बार उन्होंने नौवें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। आसियान-भारत साझेदारी साझा भौगोलिक, ऐतिहासिक और सभ्यता के मजबूत आधारों पर आधारित है। आसियान समूह शुरू से भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति' और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर व्यापक दृष्टिकोण का मूल केंद्र रहा है।
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