शिमला, 28 अगस्त। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में मीडिया के प्रतिनिधियों बात करते हुए मुख्यमंत्री और सरकार की जमकर आलोचना की। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री प्रदेश में गैंगवार नशे की तस्करी और मॉब लिंचिंग को सामान्य घटना मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे शर्मनाक बात कुछ नहीं हो सकती कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री कहते हैं कि नशे के तस्करी, गैंगवार और मॉब लिंचिंग उनके लिए मायने नहीं रखती है। वह उल्टा सवाल उठाते हैं कि विपक्ष चिंता क्यों कर रहा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश माफ़ियाओं में मकड़जाल में जकड़ता जा रहा है और सरकार कह रही है कि विपक्ष चिंतित क्यों हैं? क्या सड़कों पर इंसाफ़ होगा? प्रदेश में नशे का इस तरह से कारोबार होगा? नशे के कारोबार को पूरी तरह से ख़त्म करने की हमारी प्रतिबद्धता है, हम उसके ख़िलाफ़ उठाए जा रहे कर कदम में सरकार के साथ मज़बूती के साथ खड़े हैं लेकिन न्याय क़ानून करेगा भीड़ नहीं। सरकार इस तरह माफिया को खुला नहीं छोड़ सकती है।
उन्होंने कहा कि सचिवालय कर्मचारियों के ख़िलाफ़ सरकार अब कार्रवाई की धमकी देकर उन्हें ख़ामोश करना चाहती है। जनरल हाउस मीटिंग के ख़िलाफ़ नोटिस निकालना, कार्रवाई की धमकी देने की घटना आज तक नहीं हुई। क्या कर्मचारी लोकतांत्रिक तरीक़े से अपनी मांगे भी नहीं रख सकते? क्या वह अपने हक़ की आवाज़ नहीं उठा सकते हैं? सरकार किसी का लोकतांत्रिक हक़ नहीं छीन सकती है। सरकार इस तरह की तानाशाही से बाज आए और कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से विचार करे और उन्हें अमल में लाए। उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार ने झूठ बोलने की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। सिर्फ़ झूठ के भरोसे सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं।
करुणामूलकों को नौकरी देने के मुख्यमंत्री के बयान पर जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि दो साल में 180 लोगों को नौकरियां दी गई? क्या यह पर्याप्त है? आर्थिक स्थिति का रोना रोने वाली सरकार उस परिवार के बारे में भी सोचे जिसके परिवार में कमाने वाले की मृत्यु हो गई है उसकी क्या हालत होगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में पाँच हज़ार के लगभग करुणामूलक नौकरियां दी गई थीं। इसके साथ ही क़ानून में बदलाव किया कि नौकरी के अंतिम दिन भी अगर कर्मचारी की डेथ होती है तो भी आश्रित को करुणामूलक आधार पर नौकरी मिलेगी। पहले पचास साल की आयु के बाद करुणामूलक नौकरी नहीं मिलती थी। पूर्व सरकार ने आय सीमा में भी संशोधन किया जिससे करुणामूलकों की नौकरी की राह आसान हुई।