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ऑनलाइन सजा संस्कृत कवियों का दरबार ...दासतां की बेड़ियों में कैद था भारत महान

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Friday, August 14, 2020 21:49 PM IST

बिलासपुर। भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर ने आज स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ऑनलाइन गूगलमीट ऐप के माध्यम से जिला स्तरीय कवि सम्मेलन का आयोजन करवाया। जिसमें करीब 15 साहित्यिकारों ने अपनी रचनाओं का वाचन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने की। कार्यक्रम का संचालन इंद्र सिंह चंदेल ने किया। 

इंद्र‍ सिंह चंदेल ने 'ऐ मालिक तेरे बन्दे हम, ऐसे हो हमारे कर्म' गाकर वन्दना प्रस्तुत की। उसके बाद रवि सांख्यान ने अपनी रचना 'दासतां की बेड़ियों में कैद था भारत महान, सोने की चिड़िया किसे सुनाती व्यथा अपनी अन्जान'। प्रतिभा शर्मा ने 'इस धरती के देव है ब्रह्मा, विष्णु।, महेश तथा पहाड़ी रचना पक्तियां थी- मेरे मैरमा न जायां परदेश, मन ता मेरा लगे नई'। सुशील पुण्डीर की रचना का शीर्षक था- स्वतंत्रता पंक्तियां थी- स्वतंत्रता दिवस है आया मुहब्बत का पैगाम है लाया'। सुरेंद्र मिन्हास ने 'गुलामी सभी ते माडी मितरा, अजादिया कने धुम कोई नफि‍करा'। दिनेश सावंत की रचना की पंक्तियां थी- सरहद पे लहू जो बहता है, बहते-2 कहता है भारत दिल में रहता है'। सत्या शर्मा ने 'यह खुशी का माहौल है छाया'। अरुण डोगरा रितू ने- मेरी सलाह तुसां जो मनणी पौणी शीर्षक से रचना प्रस्तुरत की पकित्यां थीं- सलाह देने वाले जो कोई नी चलदा'। हेमा ठाकुर ने औरत व प्रोमिला भारद्वाज ने 'स्वतंत्र हवा शीर्षक से अपनी रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थीं- आक्रोश की ज्वाला धधक रही थी।' प्रियंका चंदेल की पंक्तियां थी- मन में विश्वास दिल में जनून, कुछ कर गुजरने का हौंसला त्याय अपना सर्वस्व देश पर कर बलिदान' सुनाईं।

जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने अंत में कहा कि हमें अपने राष्ट्र के प्रति आदर एवं सम्मान की भावना बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने विभागीय परियोजनाओं की भी जानकारी दी। इसके अलावा भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर द्वारा जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छात्र पाठशाला बिलासपुर के प्रागंण में देशभक्ति एवं रंगोली कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। 

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