ऊना। भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला ऊना द्वारा मकर संक्रांति पर्व के उपलक्ष्य पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन करवाया गया। जिसमें जिले के प्रतिष्ठित 19 कवियों ने भाग लिया। साहित्यकारों ने लोहड़ी पर्व के अवसर पर अपनी-अपनी कविताओं द्वारा हर्षोलास की अभिव्यक्ति की तथा जिला भाषा अधिकारी ऊना द्वारा कवियों व साहित्यकारों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर बलविंद्र सिंह घनारी ने 'आओ लोहड़ी मनाएं’ 'साले-साले लोहड़ी आई’ ’सानु अम्मा बापु याद करन ओ’ कविता पढ़कर सुनाई। ओंकार प्रसाद डांग ने ’खिल खिला कर हंसी फिर’, ’एक दम गंभीर मुद्रा में लाश’ बन कविता सुनाई। डा. योगेश चंद्र सूद ने ’लोहड़ी का त्योहार’ नववर्ष का उपहार कविता पढ़ी। केएल बैंस ने ’आप हो मात्र एक वोट’, य’ारो मेरी बात कर लेना नोट’, नेताओं की यही है सोच आप हो मात्र एक वोट कविता पढ़ी। सूरम सिंह ने ’आई लोहड़ी गया स्याल कोहढ़ी’, कविता सुनाई।
डा. कुलदीप सिंह ’नई नकोरी कापी 365 पन्नों की नामक कविता पढ़कर नववर्ष में नए संकल्प लेने का संदेश दिया। संतोष शर्मा ने ’बचपने ते दिख्खा दे अस्सीं ये लोहडि़यां दा त्योहार’ पहाड़ी भाषा में कविता सुनाई। ओम देवी सैणी ने ’मौसम में कुछ गर्मी आई लोहड़ी आई-लोहड़ी’ आई कविता सुनाई। सुधा पराशर ने ’लोहड़ी का त्योहार, मुबारक हो सबको लोहड़ी का त्योहार’ लाये आपके जीवन में उल्लास-कविता द्वारा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। ओम प्रकाश शर्मा ने ’इक पंजाब दा शहर’ भट्टी जिसका नाम था भठिंडा कविता द्वारा लोहडी़ पर्व पर प्रकाश डाला। सरोच ने ’दुविधा में ही जन्मी नारी दुविधा में ही रहती नारी मां बाप से डरती बिन पूछे कहीं जा नी’ सकती कविता पढ़ी। देसराज मोदगिल ने अपने जितने भी त्योहार भारत माता का श्रृंगार नामक कविता पढ़ी। अंकुश शर्मा ने ’बोलता हूं भ्रष्टाचार के खिलाफ ’ नामक कविता पढ़ी। राजपाल कुटलैहडि़या ने ’धुंआ ही धुंआ’ नामक कविता गाकर सुनाई।
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