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मुंशी प्रेमचंद से प्रेरणा ले करें साहित्य का सृजन

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Saturday, October 10, 2020 23:31 PM IST

बिलासपुर, 10 अक्‍टूबर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद पंजीकृत जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉक्टर अनेक राम संख्यान ने कहा कि साहित्‍यकारों को मुंशी प्रेमचंद से प्रेरणा लेकर साहित्य का सृजन करना चाहिए।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद पंजीकृत जिला बिलासपुर ने आठ अक्‍टूबर को गूगल मीट एप के माध्यम से ऑनलाइन मीटिंग व मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन किया। मीटिंग में मुख्य अतिथि के रुप में परिषद की सम्माननीय प्रांत अध्यक्षा डॉ० रीता सिंह शामिल रहीं। परिषद बिलासपुर इकाई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉक्टर अनेक राम संख्यान ने मुख्य अतिथि डॉ रीता सिंह और सभी सदस्य गणों का स्वागत करते हुए मुंशी प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सभी को उनसे प्रेरणा लेते हुए साहित्य का सृजन करना चाहिए।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं परिषद की प्रांत अध्यक्ष डॉ० रीता सिंह ने अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला बिलासपुर को सफल कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद एक महान कथाकार कहानीकार उपन्यासकार अनुवादक थे। आदर्श यथार्थवाद और प्रगतिवाद उनकी प्रमुख विचारधारा थी। हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद के अतुलनीय योगदान को सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद समाज की मानसिकता को बारीकी से समझने वाले महान लेखक थे।

गोष्ठी का संचालन शीला सिंह अध्यक्ष महिला साहित्यकार संस्था बिलासपुर द्वारा किया गया। साहित्यिक संगोष्ठी का आगाज प्रतिभा शर्मा द्वारा सुरीले स्वर में मां सरस्वती का गुणगान से किया गया। उसके बाद अध्यक्ष डॉक्टर अनेक राम संख्यान ने प्रेमचंद की जीवनी पर वक्तव्य में कहा कि अगर प्रेमचंद सामान्य पूरी आयु जीते तो साहित्य में दोगुना योगदान करते फिर इनके द्वारा शानदार कविता ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है। डॉक्टर रविंदर ठाकुर ने शानदार दोहा शैली प्रस्तुत की। प्रतिभा शर्मा ने बाबा उदास नहीं होना हम पर विश्वास नहीं खोना। शीला सिंह ने बेटी निर्मला कह रही कन्या दीजिए मेल जीवन भर को मरण है ब्याह होवे गर बेमेल। रविंद्र चंदेल कमल ने काव्य रूप में प्रेमचंद जीवनी प्रस्तुत की साहित्य सम्राट "माता की ममता से अल्प आयु में हो गए वंचित लेखन को किया आत्मसात धनपत राय से हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद साहित्य सम्राट कहलाए।

डॉक्टर हेमा ठाकुर द्वारा साहित्य पुरोधा प्रेमचंद योद्धा सामाजिक विकृतियों मिटाने वाला क्षमता का अलख जगाने वाला। विजय कुमारी सहगल ने मुंशी प्रेमचंद साहित्य जगत में आज भी झिलमिल वह सितारा है लेखनी में उनकी मां सरस्वती का वास। बीना वर्धन कलम के सिपाही में वह मुंशी प्रेमचंद कमाल कर गई तेरी कलम। रवि कुमार संख्यान ने कहा जान पाया असली संत में अभी जीता कहां जीत तो अभी जीता प्रकाश वर्ष दूर मंद मंद मुस्कुरा रही है। भीम सिंह नेगी मुंशी प्रेमचंद जी थोड़ी उम्र जीए मगर काम ऐसे कर गए अपना तथा अपने खानदान का नाम सदियों तक रोशन कर गए। ललिता कश्यप ने चौदह वर्ष की उम्र में सिधारे मां और बाप किशोरावस्था में कठिनाइयों से जूझ रहे थे आप। अंत में डॉ हेमा ठाकुर ने मुख्यातिथि अध्यक्ष और सभी सदस्यों का हार्दिक धन्यवाद किया। राष्ट्रगान और वंदेमातरम की स्वर लहरियों से संगोष्ठी समाप्त हुई।

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