शिमला,27 जून। हिमाचल प्रदेश पुलिस ने पुलिस भर्ती के पेपर लीक मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करने की तैयारी कर ली है। इस मामले में एसआईटी की जांच में अब तक 171 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। यह जानकारी देते हुए डीजीपी संजय कुंडू ने शिमला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में एसआईटी की पीठ थपथपाते हुए कहा कि पेपर लीक मामले के मास्टर माइंड शिव बहादुर सिंह को यूपी से एसटीएफ की मदद से गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने खुलासा किया कि 7 दिनों के अंदर एसआईटी इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करेगी।
डीजीपी ने कहा कि सरकारी विभागों में कर्मचारियों की भर्ती के लिए छपे प्रश्नपत्रों को लीक होने से बचाने के लिए देश को एक उच्च सुरक्षा वाला सरकारी प्रेस स्थापित करने की जरूरत है। उन्होंने केंद्रीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को करेंसी नोट छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस की तर्ज पर भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र छापने के लिये उच्च सुरक्षा वाली प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किए जाने की जरूरत बताई।
डीजीपी ने कहा कि इस मामले में अब तक जो आरोपी पकड़े गए हैं, वो पेपर लीक मामले के प्रोफेशनल हैं। इनमें हिस्ट्रीशीटर और इंजीनियर से लेकर ट्रांसपोर्टर तक का काम करने वाले लोग शामिल हैं। इस मामले में शिमला, लाहौल-स्पीति और किन्नौर से अब तक कोई अभ्यर्थी या ऐजेंट गिरफ्तार नहीं किया है और अभी इसकी जांच जारी है। कुंडू ने कहा कि राज्य पुलिस ने अब तक हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने में शामिल होने के आरोप में पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान सहित 10 राज्यों से 171 लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी भी जांच रही है। पुलिस अपना काम अच्छे तरीके से कर रही है और अगर इसमें किसी भी पुलिस अफसर की संलिप्तता पाई गई तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
वहीं सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने बताया कि सीबीआई ने अभी तक जांच शुरू ही नहीं की है। सीबीआई की ओर से सरकार को अभी तक इस मामले में हां या ना में जवाब नहीं मिला है। राज्य पुलिस बल में 1,334 कांस्टेबलों की भर्ती के लिए इस साल 27 मार्च को एक परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें 75,000 उम्मीदवारों ने शारीरिक परीक्षण पास करने के बाद भाग लिया था। बाद में यह खुलासा हुआ कि कुछ अभ्यर्थी ऐसे थे जिन्होंने लिखित परीक्षा में अच्छे अंक लिए, लेकिन उनका शैक्षणिक रिकॉर्ड बहुत खराब था। यहीं से कांगड़ा पुलिस को शक हुआ और धांधली सामने आई। अभी तक की जांच में यह पता चला है कि कुछ अभ्यर्थियों ने पेपर लीक की एवज में 8 से 10 लाख रुपए तक चुकाए हैं। यह बात भी सामने आई कि पेपर लीक होने के बाद कम से कम 2 हजार अभ्यर्थियों तक पहुंचाया गया।
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