शिमला, 08 अक्तूबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां 73वें वन्यजीव सप्ताह के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए मोनाल पक्षी को गोद लेने की घोषणा की। इस अवसर पर उन्होंने राज्य के लोगों से प्रदेश के पार्कों और चिड़ियाघरों में रखी विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों को गोद लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि किसी भी जानवर को गोद लेने से न केवल उनकी देखभाल करने में मदद मिलती है बल्कि प्राकृति के संरक्षण और संवर्द्धन के प्रति मनुष्य की समझ और प्रतिबद्धता और अधिक गहरी हो जाती है। मुख्यमंत्री ने तीतर प्रजातियों के संरक्षण पर व्यापक अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने की भी घोषणा की।
यह समिति इस प्रजाति के संरक्षण के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करेगी ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस खूबसूरत प्रजाति को देख सकें और इसके बारे में जानकारी हासिल कर सकें। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के चिड़ियाघरों के लिए एकीकृत टिकट प्रणाली विकसित करने की घोषणा की। प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को इस प्रणाली का लाभ मिलेगा और राजस्व के स्रोत भी सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि इससे अर्जित होने वाले आय को वन्य प्राणियों के संरक्षण, संवर्द्धन और अधोसंरचना विकास पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने स्पीति घाटी के ‘सरचू’ के संरक्षण रिजर्व के रूप में शामिल करने की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य यहां के पारिस्थितिकी और वन्य जीव गलियारों की रक्षा करना है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल की प्राकृतिक सुन्दरता, घने जंगल, बर्फ से ढकी चोटियां और अनमोल वन्य जीव न केवल प्रदेश की विरासत हैं बल्कि यहां के लोगों की जीवन रेखाएं भी हैं। इनकी रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है ताकि इन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोकर रखा जा सके। उन्होंने कहा कि हांलाकि प्रदेश सरकार वन्य जीव संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन हमें यह समझने की आवश्यकता है कि वन्य जीव संरक्षण एक सामूहिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि जब तक हम पर्यावरण संरक्षण के लिए एक साथ मिलकर प्रयास नहीं करेंगे तब तक वन्य जीवों की सुरक्षा अधूरी है।
उन्होंने वनों को प्रदूषण और अवैध शिकार से बचाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने वन्य जीव गतिविधि से प्रभावित किसानों और ग्रामीणों के लिए मुआवजा योजनाओं के अलावा विभिन्न पहल की हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के वनों और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए जलवायु अनुकूल और संरक्षण कार्यक्रम भी लागू किए हैं। मुख्यमंत्री ने हिमाचल की समृद्ध जैव विविधता पर प्रकाश डालते हुए इनके संरक्षण के प्रयासों और इनके प्रति लोगों के अटूट स्नेह के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल बर्फानी तेन्दुआ, कस्तूरी मृग, हिमालयन थार और काले व भूरे भालु जैसी दुर्लभ प्रजातियों का घर है और प्रदेश सरकार इनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के वनों में आग लगने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और रोकथाम के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इसके दृष्टिगत देहरा में 680 करोड़ रुपये की लागत से एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर के चिड़ियाघर के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इस चिड़ियाघर का पहला चरण जून-2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे न केवल क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा अपितु स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दुर्गेश अरणय ज्यूलोजिकल पार्क और स्पिति वाइल्ड लाइफ डिविजन के लिए दो नई वेबसाइट का शुभारंभ किया। उन्होंने फिल्ड कम्पेंडम ऑन रेस्क्यू ऑफ वाइल्ड एनिमल्स इन डिस्ट्रैस एंड देयर रेसक्यू, आरचिडस ऑफ शिमला वाटर केचमैंट, स्पितिज नेचुरल टेपेस्ट्री और द मैनेजमैंट प्लेन ऑफ पॉटर्स हिल कंजर्वेशन रिजर्वस जैसे प्रकाशनों का भी अनावरण किया।
मुख्यमंत्री ने जिला शिमला के तहसील ठियोग के लायक राम और शवानु राम को वन्यजीव संरक्षण के प्रति किए गए प्रयासों के लिए सम्मानित किया। इसके अलावा उन्होंने वन्यजीव संरक्षण के लिए विभाग के अधिकारियों को उत्कृष्ट कार्य तथा वन्यजीव सप्ताह के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्मानित किया।
विधायक हरीश जनारथा, महाधिवक्ता अनूप रतन अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल (एचओएफएफ) पवनेश शर्मा और पीसीसीएफ (वन्य जीव) अमिताभ गौतम, उपायुक्त अनुपम कश्यप और वन विभाग के अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।