शिमला,15 मार्च। विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष ने सदन में हंगामा किया। प्रश्नकाल शुरू होने से पहले विपक्ष ने प्रदेश में पूर्व सरकार के समय खोले गए 632 संस्थानों को बंद करने के निर्णय का विरोध किया और इन संस्थानों को डिनोटिफाई करने के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगी। इस संबंध में नियम 67 के तहत लाए गए काम रोको प्रस्ताव को मुख्यमंत्र की सहमति के साथ अध्यक्ष ने मंजूरी दे दी।
इसके बाद सदन में डिनोटिफाई किए संस्थानों को लेकर चर्चा शुरू हुई । इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष में कई बार तीखी नोकझोंक देखने को मिली। इस बीच चुराह से भाजपा विधायक हंसराज ने सदन में आमरण अनशन की चेतावनी तक दे डाली। उन्होंने कहा कि विधायक विकास निधि को तुरंत बहाल किया जाए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो वह धरने पर बैठ जाएंगे। जरूरी हुआ तो आमरण अनशन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
इससे पहले पूर्व मंत्री व पांवटा साहिब से भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने नियम 67 के तहत सदन में प्रस्ताव लाया और ऑफिस डिनोटिफाइ करने के मसले पर चर्चा की मांग की। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि नियम 67 अब रूटीन बनकर रह गया है। विपक्ष इसका गलत इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने इस विषय पर चर्चा की मंजूरी देने की बात कही।
सुखराम चौधरी ने कहा कि कोरोना काल में पूर्व सरकार को कुछ भी करने का मौका नहीं मिला। अंतिम सालों में सरकार ने जनहित को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। जितने संस्थानों को खोला गया। सरकार बदलते ही उन पर ताला जड़ दिया गया। इससे जनता को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी ने कहा कि विपक्ष ने राजनीतिक लाभ के लिए प्रस्ताव लाया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने अंतिम 6 महीनों में राजनीतिक लाभ लेने के लिए 900 संस्थान खोले। चार उप-चुनाव में मिली हार के बाद लोगों को ठगने के लिए इन दफ्तरों को खोला गया। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड 1800 करोड़ रुपए के घाटे में है।
भाजपा सरकार में 6 महीने में 33 डिवीजन खोल दिए, जबकि बोर्ड में 10, 000 फील्ड स्टाफ की भारी कमी है। कांग्रेस के विधायक इंद्रदत्त लखन पाल ने कहा कि जब देश व प्रदेश में डबल इंजन सरकार थी तो भाजपा सरकार को बार-बार ऋण क्यों लेना पड़ा। भाजपा सरकार क्यों केंद्र से कोई आर्थिक पैकेज नहीं ला सकी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को प्रदेश की आर्थिक स्थिति की चिंता है। इसलिए वह कड़े फैसले ले रहे हैं।
वहीं सीएम ने स्थगन प्रस्ताव को गैर जरूरी बताकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष हर रोज काम रोको प्रस्ताव लेकर आ रहा है। संस्थानों के डिनोटिफाई करने को लेकर चर्चा मांगी लेकिन तथ्यों के साथ चर्चा नहीं कर पाए। चर्चा करनी थी तो सदन में यह भी बताते कि इन संस्थानों के लिए कितने बजट का प्रावधान किया गया था। जिन स्कूलों में दो बच्चे हैं उनमें पांच टीचर थे। विपक्ष सदन में तथ्य पेश करने के बजाए भाषण बाजी कर रहा है।
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