मुजफ्फरनगर(उप्र.), 05 सितंबर। यूपी के मुजफ्फरनगर में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चे ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान महापंचायत का आयोजन किया। यहां भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने पूरे देश को बेच दिया है। अब लड़ाई 'मिशन यूपी' और 'मिशन उत्तराखंड' की नहीं, बल्कि देश को बचाने की है। यह आंदोलन देश के किसानों के बूते लड़ा जाएगा। आगे राकेश टिकैत ने पीएम मोदी का नाम लिए तंज कसते हुए कहा कि हम वो नहीं हैं, जो झोला उठाकर चल देंगे। मैं किसान हूं और किसान ही रहूंगा। आखिरी दम तक किसानों के साथ रहूंगा। किसानों के हक की लड़ाई के लिए हम हमेशा किसानों के साथ रहे हैं, और मरते दम तक किसानों की लड़ाई लड़ेंगे। रैली शुरू होने से पहले किसानों ने शहर में लगे सीएम के बड़े-बड़े होर्डिंग को फाड़कर फेंक दिया। इस बीच करीब 2 घंटे इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई।
वहीं, महापंचायत में राकेश टिकैत ने कहा कि अल्लाह हू अकबर और हर-हर महादेव के नारे हमेशा लगते रहे हैं और लगते रहेंगे। हम यहां दंगा नहीं होने देंगे। यह देश हमारा है, यह प्रदेश हमारा है, यह जिला हमारा है। लाल किले पर हमारे लोग नहीं गए। देश में कैमरा और कलम पर बंदूक का पहरा है। आगे भी आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह याद करते रहना कि हम वहां से हटेंगे नहीं। साढ़े 450 रुपए कुंतल गन्ने का रेट चाहिए। एमएसपी की गारंटी चाहिए। पूरे देश में संयुक्त मोर्चा आंदोलन करेगा। किसानों की यह लड़ाई आप (किसान) के दम पर लड़ी जाएगी। आज आप मुजफ्फरनगर में आए और पूरे देश को किसानों की ताकत दिखाई। उन्होंने 20 लाख की भीड़ जुटने का दावा किया।
राकेश टिकैत ने कहा कि देश की सरकार ने किसानों के साथ सभी को धोखा दिया है। रेल, बिजली, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान, सड़कें, एफसीआई के गोदाम, बंदरगाह प्राइवेट कंपनियों को बेच दिए गए हैं। अब खेती-बाड़ी भी इन कंपनियों को बेचने की तैयारी है। एक तरह से पूरा भारत बिकाऊ हो गया है। उन्होंने कहा कि शुगर मिलों पर गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ रुपया बकाया है। पिछली दो सरकार ने गन्ने का रेट बढ़ाया है, लेकिन योगी सरकार ने फूटी कौड़ी तक नहीं बढ़ाई। जब हम किसानों के हित की बात करते हैं तो सरकार इसे राजनीति बताती है।
उन्होंने कहा कि पूरे देश का निजीकरण हो रहा है। ऐसे में रोजगार के साधन खत्म हो रहे हैं। यह लड़ाई सिर्फ किसानों की नहीं, बल्कि नौकरीपेशा, मजदूर, मेहनतकश समेत सभी वर्गों की है। टिकैत ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे, वह दिल्ली के बॉर्डर से नहीं हटेंगे। चाहें हमारी कब्रगाह ही बॉर्डर पर क्यों न बनानी पड़े। इसके लिए सरकार को वोट की चोट देनी होगी। लड़ाई किसानों समेत सभी वर्गों के दम पर लड़ी जाएगी। राकेश टिकैत ने कहा कि यह सरकार तोड़ने का काम करती है और हम जोड़ने का काम करते हैं। हमने उस समय भी कह दिया था कि कब्रगाह हमारी यहीं बनेगी। इस तरह की सरकार यदि देश में होगी तो यह दंगा करवाने का काम करेंगे।
इससे पहले स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सौ सुनार की, एक लोहार की। आज किसानों ने जवाब दे दिया सबको। जो कह रहे थे कि ये आंदोलन ढीला पड़ गया है। आज किसानों की भीड़ से मुजफ्फरनगर शहर ही छोटा पड़ गया। उन्होंने कहा कि कर्जमाफी के नाम पर ढोंग किया। कर्ज करोड़ों किसानों का था। सरकार ने 86 लाख का माफ करने का वादा किया, मगर आरटीआई में आधे किसानों का कर्ज माफ न होने की जानकारी हुई। सरकार ने चार साल से गन्ना रेट नहीं बढ़ाया। पिछला बकाया तक नहीं दिया। 7295 करोड़ पिछले सीजन का चीनी मिलों पर बकाया है और 8700 करोड़ का ब्याज गन्ना किसानों का सरकार पर उधार है। गेहूं की 18 फीसदी सरकारी खरीद हुई। सरसों की एक फीसदी, चने की 0, मूंग, मसूर की 0, मक्का की 0 फीसदी खरीद की। पीएम फसल बीमा उत्तर प्रदेश में 2017 में 72 लाख किसानों का था। आज 72 से हटकर 47 लाख किसानों का रह गया है। कंपनियों ने बीमा के नाम पर ढाई हजार करोड़ का मुनाफा कमाया। इस सरकार ने जाति के नाम पर तोड़ने की कोशिश की। पहली बार मंत्रिमंडल में जाति गिनाई गई। इसी मुजफ्फरनगर में खून की नदियां बहाईं। उन्होंने कहा कि तुम तोड़ोगे, हम जोड़ेंगे।
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