Tuesday, October 03, 2023
BREAKING
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री को किया नमन आपदा राहत कोष में 200 करोड़ अंशदान, 300 करोड़ पहुंचने की उम्मीद: सीएम विधायक नीरज नैय्यर की माता की रस्म क्रिया में हुए शामिल मुख्यमंत्री सीएम बोले हिमाचल में स्‍थापित किया जाएगा कमांडो बल,1226 पद भरेगी सरकार कांग्रेस सेवादल ने आपदा राहत कोष में दिया 111111 का चेक सीएम ने सहायक अभियंताओं को ईमानदारी से काम को किया प्रेरित, राज्य स्तरीय मैराथन (रेड रन) सीएम ने घोषित किया 4500 करोड़ का आपदा राहत पैकेज, घर बनाने को मिलेंगे 7 लाख आधुनिक उपकरणों की खरीद के लिए एसडीआरएफ को 12.65 करोड़ जारी, सीएम ने की तारीफ एसबीआई कर्मचारियों ने आपदा राहत कोष में दिए 77.30 लाख मुख्यमंत्री ने यू.ए.ई. के प्रवासी हिमाचलियों को निवेश के लिए आमंत्रित किया
 

मेरी जाति हिंदुस्तानी की जीत..राज्यों को मिला ओबीसी की जन-गणना करवाने का अधिकार

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Friday, August 13, 2021 17:02 PM IST
मेरी जाति हिंदुस्तानी की जीत..राज्यों को मिला ओबीसी की जन-गणना करवाने का अधिकार

यह देखकर तो अच्छा लगा कि संसद के दोनों सदनों ने अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना के विधेयक को शांतिपूर्वक पारित कर दिया। अब राज्यों को यह अधिकार मिल गया है कि वे अन्य पिछड़े वर्ग की जन-गणना करवा सकें। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को उलटने का अधिकार राज्य को देकर संसद ने असाधारण कार्य किया है। यह फैसला संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से किया है। पिछले 75 साल में ऐसे कितने कानून बने हैं, जिनका विरोध या सुधार (संशोधन) एक भी सदस्य ने नहीं किया है? यह ऐसा ही विलक्षण कानून है। ऐसा क्यों हुआ ? खासकर तब जबकि संसद के सदन निरंतर स्थगित होते रहे, कागज फाड़े गए, शीशे तोड़े गए, सांसदों ने मार-पिटाई भी की और राज्यसभा-अध्यक्ष तंग आकर रो भी पड़े।

ऐसा हमारी संसद में पहले कभी नहीं हुआ लेकिन ऐसी अराजकता के बीच पक्ष और विपक्ष पिछड़ों की जन-गणना के मुद्दे पर एक क्यों हुए ? क्योंकि वे पिछड़ों के वोट थोक में चाहते हैं उनकी राजनीति का आधार जातिवाद बन गया है। जातिवाद के इस हम्माम में सभी नंगे है। प्रधानमंत्री ने तो अपने नए मंत्रिमंडल के सदस्यों का जातिवार परिचय करवाने में भी कोई संकोच नहीं किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी उक्त जनगणना का दो-टूक समर्थन कर दिया जबकि बिहार के चुनाव के दौरान संघ-प्रमुख ने जातीय आरक्षण का विरोध किया था।

यह गणना सरकारी नौकरियों में कितनी तकलीफ पैदा करेगी, इसका अंदाज हमारे सांसदों को शायद नहीं है। 2012 में सरकार ने 30 लाख लोगों को नौकरियां दी थीं लेकिन 2020 में उसकी संख्या सिकुड़कर 18 लाख रह गई। हर साल आरक्षित नौकरियों की संख्या लाखों में नहीं होती। मुश्किल से हजारों में होती हैं। वे कई थोक जातियों में बंट जाती हैं। अन्य पिछड़ों को पाँच-सात सौ नौकरियों के लालच में फंसाकर देश के 80-90 करोड़ वंचितों और दलितों के थोक वोट पटाने के धंधे में सभी पार्टियां जुटी हुई हैं। यह उनके साथ बड़ा धोखा है।

कुछ सौ लोगों को विशेष अवसर और करोड़ों लोगों को उनकी बदहाली में सड़ने देना कौनसा न्याय है? लेकिन इस मौके पर सबसे खुशी इस बात की है कि सामाजिक न्याय मंत्री ने साफ़-साफ़ शब्दों में कहा है कि फिलहाल सरकार का जातीय जनगणना करवाने का कोई इरादा नहीं है और 2011 की जातीय जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। जब मैंने 2010 में जातीय जनगणना के विरुद्ध आंदोलन छेड़ा था तो लगभग सभी दलों ने उसका समर्थन किया था और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जातीय जनगणना बीच में ही रुकवा दी थी और उसके जो भी आंकड़े उपलब्ध थे, उन्हें भी प्रकट न करने की घोषणा कर दी थी। मोदी सरकार को ‘मेरी जाति हिंदुस्तानी’ आंदोलन की तरफ से हार्दिक बधाई। मुझे उम्मीद है कि सरकार अपने इस संकल्प से डिगेगी नहीं।

VIDEO POST

View All Videos
X