नई दिल्ली, 10 अगस्त। कांग्रेस ने ओबीसी से संबंधित संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर विचार करे ताकि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय और दूसरे कई राज्यों में लोगों को इसका लाभ मिल सके। सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार की गलती के कारण ही यह विधेयक लाना पड़ा है तथा वह उत्तर प्रदेश एवं कुछ राज्यों के चुनाव को ध्यान में रखकर भी इसे लाई है।
उन्होंने पेगासस जासूसी मामले को उठाते हुए कहा कि अगर सरकार इस पर चर्चा के लिए सहमत होती तो गतिरोध नहीं होता, हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह विषय पर बोलें। चौधरी ने कहा कि ‘हम इस विधेयक पर चर्चा में भाग ले रहे हैं क्योंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है इसमें दो तिहाई बहुमत का समर्थन की जरूरत है। हम एक जिम्मेदार दल हैं, इसलिए हम इसमें भाग रहे हैं।’
कांग्रेस नेता ने अतीत की अपनी पार्टी की सरकारों के समय ओबीसी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए किये गए कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यो के बारे में आपको (मंत्री) बोलने का पूरा अधिकार है। लेकिन हम पूछना चाहते हैं कि इस संविधान संशोधन की नौबत क्यों आई? चौधरी ने कहा कि 2018 में 102वां संविधान संशोशन विधेयक लाया, लेकिन पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही राज्यों की ओबीसी सूची निर्धारित करने का अधिकार छीन लिया गया। हमने उस वक्त इस समय इस मुद्दे को उठाया था, आप रिकॉर्ड को देख सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि 102वें संशोधन के समय सरकार ने ‘छेड़छाड़’ की और विपक्ष की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘आपके पास बहुमत है तो किसी की परवाह नहीं है। बहुमत के बाहुबल से आप सबको झुकाना चाहते हैं। लेकिन जनता की आवाज के सामने आपको झुकना पड़ा।’ चौधरी ने आरोप लगाया कि ‘उत्तर प्रदेश, उत्तरराखंड में चुनाव है तो आप यह ला रहे हैं ताकि लोगों को खुश किया जा सके।’ उन्होंने इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘इस विधेयक पर समर्थन करने के साथ हमारी मांग है कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा हटाने का के बारे में विचार किया जाए। कई राज्यों में यह सीमा अधिक है, लेकिन आप इसे कानूनी रूप से करिये।’
चौधरी ने कहा कि ‘मैं आग्रह करता हूं कि मराठा समुदाय के लोगों की भावना का सम्मान करना चाहिए। आरक्षण सीमा को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए और साथ ही खयाल रखना चाहिए कि दूसरे कमजोर वर्गों का नुकसान नहीं हो।’
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