शिमला, 03 मार्च। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गुरुवार को जहां ओल्ड पेंशन स्कीम(ओपीएस) लागू करने की मांग को लेकर सैकड़ों कर्मचारी सरकार को सदन के बाहर घेरे हुए थे तो वहीं चुनावी साल में कर्मचारियों को साधने के लिए विपक्षी दल कांग्रेस ने सदन में सरकार को घेरा।
बजट सत्र के छठे दिन गुरुवार को प्रश्नकाल के शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने सदन में ओपीएस को लेकर नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव दिया और चर्चा की मांग की। कांग्रेस विधायक दल ने सदन में स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर करने पर सदन में नारेबाजी की और सरकार पर कर्मचारियों से अलोकतांत्रिक व्यवहार करने का मुद्दा उठाते हुए वैल में चले गए। वहीं सत्तापक्ष के विधायक इतना सब होने के बावजूद शोर-शराबे में ही सवाल पूछते रहे और इसके बाद नाराज विपक्ष ने सदन से वाकआऊट कर दिया।
इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में कहा कि कर्मचारियों की ओर से आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाना उचित नहीं है। ओल्ड पेंशन स्कीम व कर्मचारियों की अन्य मांगों का समाधान करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। सरकार अपने वित्तीय संसाधन देखेगी, उसके बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पंजाब पे स्केल आने के बाद हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों के लिए वह सब कुछ किया है, जो संभव था। प्रदेश में जब न्यू पेंशन स्कीम लागू की गई, उस समय कांग्रेस सत्ता में थी। वीरभद्र सिंह उस समय मुख्यमंत्री थे। हिमाचल में बिना तर्क दिए इसे स्वीकार किया गया। राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की गई है। यह संभव होगा या नहीं, कब लागू की जाएगी, यह बड़ा सवाल है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष का वाकआउट करना रस्म बन गई है। राज्यपाल के अभिभाषण पर भी बोलने की प्रतिस्पर्धा साफ झलकी। उन्होंने कहा कि 9 माह बाद विधानसभा चुनाव हैं और विपक्ष सोच रहा है कि ऐसे हथकंडे अपनाकर सत्ता हासिल कर लेंगे। सीएम ने कहा कि जहां तक कर्मचारियों का सवाल है तो उनका सरकार के खिलाफ प्रदर्शन उचित नहीं है। इसके लिए नियम व कानून बने हैं। सरकार कर्मचारियों की हितैषी है, उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से उन्हें बात करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व का संकट है। अब इन्होंने सीपीआईएम को लीडरशिप दे दी है। अब कांग्रेस ही आउटसोर्स होने वाली है। यह बात उन्होंने तब कही जब स्थगन प्रस्ताव अस्वीकार होने पर विपक्ष के साथ माकपा विधायक राकेश सिंघा भी नारेबाजी कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीपीआईएम वाले इन्हें बता रहे थे कि कैसे नारेबाजी करनी है।
वहीं प्रश्नकाल शुरू होने से पहले किन्नौर के कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने न्यू पैंशन स्कीम कर्मचारियों के लिए ओल्ड पैंशन स्कीम की बहाली के मसले को उठाया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को स्वीकार न करने पर आपत्ति जताई। वह इस पर चर्चा करवाने पर अड़े रहे। इस प्रस्ताव की नामंजूरी पर विपक्ष के सदस्यों ने सदन में सरकार के खिलाफ नारे लगाए और वाकआऊट कर दिया। विपक्ष का कहना है कि सीएम के पास कर्मचारियों की मांगों पर चर्चा करने के लिए समय नहीं है। ओपीएस को बीजेपी की सरकार में खत्म किया गया और अब कर्मचारियों पर निरकुंश कानून थोपे जा रहे हैं। उन्हें प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है, जिसका विपक्ष विरोध करता है।
कर्मचारी देर शाम तक डटे, पुलिस घेरा तोड़ा
उधर, हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने शिमला में विस को घेरे रखा है। अपनी मांगों को लेकर कर्मचारियों का प्रदर्शन आज दोपहर से शुरू हुआ था और देर शाम तक जारी है। कर्मचारी मुख्यमंत्री के आश्वासन पर अड़े हुए हैं। अधिकारियों के समझाने के बाद भी वे हटने को तैयार नहीं हैं। जिस प्रकार से शीतकालीन सत्र के दौरान कर्मचारियों ने तपोवन में विस को घेरे रखा था, उसी तरह शिमला के हालत बने हुए हैं। शाम तक स्थित बेकाबू नजर आ रही थी, चुनावी साल होने के चलते सरकार इन पर बल का प्रयोग करने से बचती आ रही है। हालांकि आज भी इन कर्मचारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमान किया गया, मगर वे नहीं रूके। भारी पुलिस बल के बीच धक्कामुक्की जारी है हालांकि कुछ पर लाठियां भी भांजी गई हैं। शाम होते-होते इन्होंने विधानसभा की घेराबंदी कर ली थी और 103 स्टेशन के पास प्रदर्शनकारियों ने पुलिस का सुरक्षा घेरा तक तोड़ दिया है।
हालात ऐसे बने हुए हैं कि क्रॉसिंग से लेकर विधानसभा तक का रास्ते करीब सात घंटों से बंद है। मुख्य सड़क सहित शहर जाम पड़ा है। लोग और सैलानी कई घंटो से फंसे हुए हैं। यहां तक कि दोपहर को स्कूली छात्रों तक को दिक्कतों का समना करना पड़ा। 103 के पास जाम लगने से ट्रैफिक रूट डाइवर्ट किया गया है। ऊपरी शिमला को जाने वाले वाहनों को लक्कड़ बाजार या फिर न्यू बस स्टैंड बायपास से ढली के लिए भेजा जा रहा है।
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