भगवान श्री कृष्ण सनातनियों की श्रद्धा, ईष्ट और प्राण हैं। कृप्या उनको सिर्फ़ आशिक मिजाज़ दिखा कर अपना स्वयं का, अपनी संस्कृति का और उनका भी मज़ाक मत बनाया करें। उनको और माता राधा जी के स्वरूप को फिल्मी गानों में नचाने से हमारी भक्ति में कोई बढ़ौतरी नहीं होने वाली, बल्कि कहीं ना कहीं जाने अनजाने हम पाप के भागी बन रहे हैं। इसमें ना उनका ना हमारा और ना ही हमारे धर्म व देश का कल्याण होने वाला है। बल्कि यह चिंता और चिंतन का विषय कहा जा सकता है।
देश के बुद्धिजीवियों, नेताओं, अध्यापकों और छोटे व अनभिज्ञ बच्चों के अभिभावकों को इस बात का भी स्मरण करना जरूरी है कि भगवान श्री कृष्ण ने चक्र धारण करके महाभारत में धर्म की रक्षा के लिए भी योगदान दिया था। इसी तरह मानव अवतार में किए गए उनके असंख्य ऐसे कार्य हैं, जो समाज, धर्म, देश, युवा और विश्व के कल्याण के लिए प्रेरणा देते हैं।
देश का भविष्य समझे जाने वाले छोटे बालक, बालिकाओं व बच्चों को अपनी संस्कृति का अधा अधूरा और गलत ज्ञान देकर उन्हें, स्वयं को और दुनिया को अंधेरे में रखने का काम किया जा रहा है। जहां देखें श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के नाम पर प्रेम प्रसंग से जुड़े फूहड़ फिल्मी गानों पर बच्चों से नृत्य करवाए जाते हैं। उनके अवतार से जुड़ी झांकियां व नाटक तो मानो रंगमंच से गायब ही हो चुके हैं। चक्रधारी भगवान श्री कृष्ण के अवतार की बाकी विशेषताओं से अवगत ना करवा कर मानों जैसे आने वाली पीढ़ी में गलत भावनाएं भरी जा रही हैं। ऐसा करके उन्हें अपनी धर्म संस्कृति से विमुख किया जा रहा है। मेरा तो यही विचार है आपका मुझे पता नहीं। जय श्री कृष्णा। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
-रमेश भरमौरी निवासी कांगड़ा की फेसबुक वॉल से