यमुनानगर, 26 जून। अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस के अवसर पर शनिवार को जगाधरी के महाराजा अग्रसैन महाविद्यालय में ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें युवा वर्ग को नशा जैसी सामाजिक बुराई के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रुप में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रमोद कुमार बाजपेयी ने भाग लिया।
मुख्य वक्ता एवं प्राचार्य डॉ. प्रमोद कुमार बाजपेयी ने कहा कि नशे की लत, सेवन व उस पर निर्भरता व्यक्ति विकार का सबसे विकृत्त रूप है। उड़ता पंजाब जैसी फिल्मों ने भारत में नशे की समस्याओं को प्रखर रूप से रेखाकिंत किया है। दुनिया में प्रतिवर्ष करीब तीस लाख करोड़ रुपये का नशे का कारोबार होता है। अनुमान के अनुसार भारत की लगभग 20 प्रतिशत आबादी नशे की लत में फंसी है। उन्होंने बताया कि एम्स की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 16 करोड़ शराब के नशे के आदी हैं। जिसमें काफी तादाद में महिलाएं भी शामिल हैं। इस रिपोर्ट में यह खुल्लासा किया गया कि देश में करीब 15 करोड़ महिलाएं शराब, अफीम व गांजा का सेवन करती हैं। भारत में वर्ष 2017 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक 22 हजार मौतें अवैध ड्रग लेने की वजह से हुई हैं। डॉ. बाजपेयी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के ड्रग कंट्रोल कार्यालय के अनुसार पूरी दूनिया में वर्ष 2017 में जब्त किए गए गांजे का छह प्रतिशत भारत में पकड़ा गया। जिसका वजन 353 टन था, जबकि पकड़ी गई चरस का वजन 3.2 टन था। इससे नशे के अवैध कारोबार का अंदाजा अच्छी तरह लगाया जा सकता है।
उन्होंने युवा वर्ग को नशा की लत से बचकर रहने के लिए आहवान किया। मौके पर कार्यक्रम संयोजक एवं समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. पवन कुमार त्रिपाठी ने कहा कि गांव व कस्बों मे रहने वाले ज्यादारतर व्यक्ति नशे की गिरफ्त में हैं। जिसके लिए हमारा तंत्र जिम्मेदार है। सरकार को नशा के बढ़ते प्रचलन को रोकने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिएं।