Saturday, June 03, 2023
BREAKING
सहकारी बैंक ऋण की एकमुश्त अदायगी नीति पर विचार कर रही सरकार: मुख्यमंत्री नूरपुर में 43000 लीटर अवैध शराब जब्त, कुल्‍लू, बिलासपुर, बीबीएन में भी कार्रवाई डोडरा-क्वार तथा कोटखाई-हाटकोटी सुरंगों के निर्माण के लिए होगा सर्वेक्षण: सीएम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 110 रुपये प्रति लीटर मिलेगा सरसों का तेल: मुख्यमंत्री पड़ोसी के घर गई 12 साल की लड़की से युवक ने किया दुष्‍कर्म 180 पदों के कैंपस इंटरव्यू 06 जून को ज़िला रोज़गार कार्यालय सोलन में एचआरटीसी चालकों-परिचालकों के ओवरटाइम व रात्रि भत्ते के लिए 4.50 करोड़ जारी विक्रमादित्य सिंह ने नितिन गडकरी से सीआरआईएफ के तहत मांगे 500 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना कांग्रेस सरकार का लक्ष्य: प्रतिभा सिंह संपर्क से समर्थन: पूर्व सीएम व भाजपा नेताओं ने सैनिक परिवार व प्रबुद्धजनों से की मुलाकात
 

गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना माना जाएगा अपराध: सुप्रीम कोर्ट

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Friday, March 24, 2023 16:41 PM IST
गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना माना जाएगा अपराध: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली , 24 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में व्‍यवस्था दी है कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना भी अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही यूएपीए के तहत कार्रवाई का आधार बन सकता है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए फैसले में वर्ष 2011 को दिया गया अपना पूर्व में दिया गया फैसला पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अरूप भुयन बनाम असम सरकार, इंदिरा दास बनाम असम सरकार और केरल सरकार बनाम रनीफ मामलों में दिए अपने फैसले में कहा था कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आधार नहीं हो सकता, जब तक कि वह किसी हिंसा की घटना में शामिल ना हो।

 

जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने अपने फैसले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 10(ए)(1) को भी सही ठहराया है, जो गैरकानूनी संगठन की सदस्यता को भी अपराध घोषित करती है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2011 का फैसला जमानत याचिका पर दिया गया था, जिसमें कानून के प्रावधानों की संवैधानिकता पर सवाल नहीं उठाया गया था।

 

पीठ ने कहा कि 2011 के फैसले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की संवैधानिकता को भी सही ठहराया गया था। साथ ही ये भी कहा कि अदालत ने केंद्र सरकार का तर्क सुने बिना कानून के प्रावधानों की व्याख्या की थी।

 

बता दें कि साल 2014 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर संदर्भ दिया था कि केंद्रीय कानूनों की व्याख्या, केंद्र सरकार का तर्क सुने बिना नहीं की जा सकती। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया था। ताजा फैसला उसी संदर्भ में आया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 2011 के फैसले अमेरिकी बिल ऑफ राइट्स के आधार पर दिए गए थे लेकिन इससे आतंकवाद से संबंधित मामलों से निपटने में परेशानी हो रही है। सरकार ने तर्क दिया कि न्यायालय आतंकवाद विरोधी कानून के प्रावधानों की, सरकार की दलील सुने बिना व्याख्या नहीं की जा सकती।   

सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को 4-1 के अंतर से सही ठहराया

फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को 4-1 के अंतर से सही ठहराया

धर्मशाला में सुप्रीम कोर्ट के जज एमआर शाह को पड़ा दिल का दौरा,एयरलिफ्ट की तैयारी

टांडा में किया उपचार : धर्मशाला में सुप्रीम कोर्ट के जज एमआर शाह को पड़ा दिल का दौरा,एयरलिफ्ट की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के 6 न्यायाधीश स्थानांतरित किए

अनुशंसा : सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के 6 न्यायाधीश स्थानांतरित किए

कार्यकापालिका और विधायिका के चलते लंबित मामलों की भरमार: सीजेआई

जानबूझकर निष्क्रियता चिंताजनक : कार्यकापालिका और विधायिका के चलते लंबित मामलों की भरमार: सीजेआई

प्रधानमंत्री सुरक्षा चूक मामले में पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट

फैसला : प्रधानमंत्री सुरक्षा चूक मामले में पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट

टेलीविजन की परिचर्चाएं दूसरी चीजों से कहीं अधिक प्रदूषण फैला रही हैं: सुप्रीम कोर्ट

पराली जलाने का मामला : टेलीविजन की परिचर्चाएं दूसरी चीजों से कहीं अधिक प्रदूषण फैला रही हैं: सुप्रीम कोर्ट

अगले साल से लागू होंगे नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षाओं में बदलाव, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

वैधता पर सवाल : अगले साल से लागू होंगे नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षाओं में बदलाव, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन है: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

सर्वोच्च सुनवाई : पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन है: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

VIDEO POST

View All Videos
X