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गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना माना जाएगा अपराध: सुप्रीम कोर्ट

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Friday, March 24, 2023 16:41 PM IST
गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना माना जाएगा अपराध: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली , 24 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में व्‍यवस्था दी है कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना भी अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही यूएपीए के तहत कार्रवाई का आधार बन सकता है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए फैसले में वर्ष 2011 को दिया गया अपना पूर्व में दिया गया फैसला पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अरूप भुयन बनाम असम सरकार, इंदिरा दास बनाम असम सरकार और केरल सरकार बनाम रनीफ मामलों में दिए अपने फैसले में कहा था कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आधार नहीं हो सकता, जब तक कि वह किसी हिंसा की घटना में शामिल ना हो।

 

जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने अपने फैसले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 10(ए)(1) को भी सही ठहराया है, जो गैरकानूनी संगठन की सदस्यता को भी अपराध घोषित करती है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2011 का फैसला जमानत याचिका पर दिया गया था, जिसमें कानून के प्रावधानों की संवैधानिकता पर सवाल नहीं उठाया गया था।

 

पीठ ने कहा कि 2011 के फैसले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की संवैधानिकता को भी सही ठहराया गया था। साथ ही ये भी कहा कि अदालत ने केंद्र सरकार का तर्क सुने बिना कानून के प्रावधानों की व्याख्या की थी।

 

बता दें कि साल 2014 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर संदर्भ दिया था कि केंद्रीय कानूनों की व्याख्या, केंद्र सरकार का तर्क सुने बिना नहीं की जा सकती। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया था। ताजा फैसला उसी संदर्भ में आया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 2011 के फैसले अमेरिकी बिल ऑफ राइट्स के आधार पर दिए गए थे लेकिन इससे आतंकवाद से संबंधित मामलों से निपटने में परेशानी हो रही है। सरकार ने तर्क दिया कि न्यायालय आतंकवाद विरोधी कानून के प्रावधानों की, सरकार की दलील सुने बिना व्याख्या नहीं की जा सकती।   

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