नई दिल्ली, 08 सितंबर। केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि सशस्त्र बलों ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिलाओं की भर्ती करने का फैसला किया है। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ को बताया कि सरकार के साथ ही सशस्त्र बलों के उच्च स्तर पर फैसला लिया गया है कि एनडीए के जरिए स्थायी कमीशन के लिए महिलाओं की भी भर्ती की जाएगी।
भाटी ने हलफनामे के जरिए जानकारी देने के लिए न्यायालय की अनुमति मांगी। न्यायालय ने कहा कि वह समय-समय पर प्राधिकारियों को खुद इसे करने के लिए प्रेरित करता रहा है और उसका मानना है कि वे इसे करने के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं। पीठ ने कहा कि ‘ऐसी राय है कि जब कुछ नहीं होता तो अदालत आगे आती है। आपको आश्वस्त कर दूं कि अदालत को हस्तक्षेप करने में खुशी नहीं होती और हम चाहेंगे कि सशस्त्र बल खुद यह करें। वे देश के सम्मानित बल हैं लेकिन लैंगिक समानता पर उन्हें और करने की आवश्यकता है और कभी-कभी प्रतिरोध अच्छा साबित नहीं होता।’
पीठ ने कहा कि ‘मैं खुश हूं कि सशस्त्र बलों के प्रमुख ने एक सकारात्मक फैसला लिया है। रिकॉर्ड में रखिए, हम मामले पर सुनवाई करेंगे। हम इस रुख से खुश हैं। हमें अगले हफ्ते मामले पर सुनवाई करने दीजिए। सुधार एक दिन में नहीं होते। हम इससे अवगत हैं।’ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया कि ऐसा विचार पहले ही चल रहा था लेकिन वह केवल शुरुआती स्तर पर था। मामले पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद की तारीख तय की गई है।
उच्चतम न्यायालय वकील कुश कालरा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में प्रतिष्ठित एनडीए में लैंगिक आधार पर योग्य महिलाओं को भर्ती नहीं करने का मुद्दा उठाते हुए इसे समानता के मौलिक अधिकार का कथित तौर पर उल्लंघन बताया गया था।
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