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भारतीय हॉकी का 41 साल का सूखा खत्म, जर्मनी को हरा कांस्य पदक जीता

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Thursday, August 05, 2021 18:08 PM IST
भारतीय हॉकी का 41 साल का सूखा खत्म, जर्मनी को हरा कांस्य पदक जीता

टोक्यो, 05 अगस्त। आखिर मॉस्को से शुरू हुआ 41 साल का इंतजार टोक्यो में खत्म हुआ। अतीत की मायूसियों से निकलकर भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने पिछड़ने के बाद जबर्दस्त वापसी करते हुए रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे मैच में जर्मनी को 5-4 के अंतर से हराकर ओलंपिक में कांसे का तमगा जीत लिया। आखिरी पलों में ज्यों ही गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को मिली पेनल्टी को रोका,  भारतीय खिलाड़ियों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गईं। हॉकी के गौरवशाली इतिहास को नए सिरे से दोहराने के लिए मील का पत्थर साबित होने वाली इस जीत ने पूरे देश को भावुक कर दिया।

 

 

इस रोमांचक जीत के कई सूत्रधार रहे, जिनमें दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह ((17वें मिनट और 34वें मिनट) हार्दिक सिंह (27वां मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वां मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह (31वां मिनट) तो थे ही लेकिन आखिरी पलों में पेनल्टी बचाने वाले गोलकीपर श्रीजेश भी शामिल हैं। भारतीय टीम 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीती है। मॉस्को से टोक्यो तक के सफर में बीजिंग ओलंपिक 2008 के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाने और हर ओलंपिक से खाली हाथ लौटने की कई मायूसियां शामिल रहीं।

 

 

टोक्यो खेलों में यह भारत का पांचवां पदक होगा। इससे पहले भारोत्तोलन में मीराबाई चानू ने रजत जबकि बैडमिंटन में पीवी सिंधू और मुक्केबाजी में लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य पदक जीते और कुश्ती में रवि दहिया ने रजत पदक जीता, हालांकि वे फाइनल मुकाबला रूस के पहलवान से हार गए। आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही। दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे। मध्यांतर तक दोनों टीमें 3-3 से बराबर थीं।

 

 

भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन ने ना सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही। आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी हार के बावजूद भारतीय टीम अपने बाकी चारों ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही। टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजदू 2-5 से हार झेलनी पड़ी। भारत के लिए मुकाबले की शुरुआत अच्छी नहीं रही। भारतीय रक्षापंक्ति ने कई गल्तियां कीं लेकिन अग्रिम पंक्ति और गोलकीपर पीआर श्रीजेश इसकी भरपाई करने में सफल रहे। जर्मनी ने बेहद तेज शुरुआत की लेकिन बाकी मैच में इस दमखम को बनाए रखने में विफल रही। जर्मनी ने पहले क्वार्टर में दबदबा बनाया तो भारतीय टीम बाकी तीन क्वार्टर में हावी रही।

 

 

जर्मनी ने शुरुआत में ही दोनों छोर से हमले करके भारतीय रक्षा पंक्ति को दबाव में डाला। टीम को इसका फायदा भी मिला जब दूसरे ही मिनट में भारतीय गोलमुख के सामने गफलत का फायदा उठाकर तिमूर ओरूज ने गेंद को गोलकीपर पीआर श्रीजेश के पैरों के नीचे से गोल में डाल दिया। भारत ने तेजी दिखाते हुए पलटवार किया। टीम को पांचवें मिनट में मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर के शॉट में दम नहीं था। जर्मनी ने लगातार हमले जारी रखे। पहले क्वार्टर में जर्मनी की टीम मनमाफिक तरीके से भारतीय डी में प्रवेश करने में सफल रही। श्रीजेश ने हालांकि शानदार प्रदर्शन करते हुए जर्मनी को बढ़त दोगुनी करने से रोका और उसके दो हमलों को नाकाम किया।

 

 

जर्मनी को अंतिम मिनट में लगातार चार पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन अमित रोहिदास ने विरोधी टीम को सफलता हासिल नहीं करने दी। दूसरे क्वार्टर में भारत की शुरुआत अच्छी रही। सिमरनजीत ने दूसरे ही मिनट में नीलकांता शर्मा से डी में मिले लंबे पास पर रिवर्स शॉट से जर्मनी के गोलकीपर एलेक्जेंडर स्टेडलर को छकाकर गोल किया और भारत को 1-1 से बराबरी दिला दी। भारत ने इस बीच लगातार हमले किए लेकिन जर्मनी की रक्षापंक्ति को भेदने में नाकाम रहे।

 

 

भारतीय रक्षापंक्ति ने इसके बाद लगातार गल्तियां की जिसका फायदा उठाकर जर्मनी ने दो मिनट में दो गोल दागकर 3-1 की बढ़त बना ली। पहले तो नीलकांता ने यान क्रिस्टोफर रूर के पास को वेलेन को आसानी से लेने दिया जिन्होंने श्रीजेश को छकाकर गोल दागा। इसके बाद दायें छोर से जर्मनी के प्रयास पर भारतीय रक्षापंक्ति ने फिर गलती की और बेनेडिक्ट फुर्क ने गोल दाग दिया। भारतीय टीम ने 1-3 से पिछड़ने के बाद पलटवार किया और तीन मिनट में दो गोल दागकर बराबरी हासिल कर ली। टीम को 27वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला। ड्रैगफ्लिकर हरमनप्रीत के प्रयास को गोलकीपर ने रोका लेकिन रिबाउंड पर हार्दिक ने गेंद को गोल में डाल दिया।

 

 

भारत को एक मिनट बाद एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला और इस बार हरमनप्रीत ने अपनी दमदार ड्रैगफ्लिक से गेंद को गोल में पहुंचाकर भारत को बराबरी दिला दी। तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम पूरी तरह हावी रही। पहले ही मिनट में जर्मनी के डिफेंडर ने गोलमुख के सामने मनदीप सिंह को गिराया जिससे भारत को पेनल्टी स्ट्रोक मिला। रूपिंदर ने स्टेंडलर के दायीं ओर से गेंद को गोल में डालकर भारत को पहली बार मैच में आगे कर दिया। तोक्यो ओलंपिक में रूपिंदर का यह चौथा गोल है।

 

 

भारत ने इसके बाद दायीं छोर से एक ओर मूव बनाया और इस बार डी के अंदर गुरजंत के पास पर सिमरनजीत ने गेंद को गोल में डालकर भारत को 5-3 से आगे कर दिया। भारत को इसके बाद लगातार तीन और जर्मनी को भी लगातार तीन पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन दोनों ही टीमें गोल करने में नाकाम रहीं। चौथे क्वार्टर के तीसरे मिनट में जर्मनी को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला और इस बार लुकास विंडफेडर ने श्रीजेश के पैरों के बीच से गेंद को गोल में डालकर स्कोर 4-5 कर दिया। भारत को 51वें मिनट में गोल करने का स्वर्णिम मौका मिला। लंबे पास पर गेंद कब्जे में लेने के बाद मनदीप इसे डी में ले गए। मनदीप को सिर्फ गोलकीपर स्टेडलर को छकाना था लेकिन वह विफल रहे। श्रीजेश ने इसके बाद जर्मनी के एक और पेनल्टी कॉर्नर को नाकाम किया। जर्मनी की टीम बराबरी की तलाश में अंतिम पांच मिनट में बिना गोलकीपर के खेली। टीम को 58वें और 60वें मिनट में पनेल्टी कॉर्नर मिले लेकिन भारतीय रक्षकों ने इन हमलों को विफल करके कांस्य पदक सुनिश्चित किया।

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