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हॉकी में पुरुष सेमीफाइनल हारे, महिलाओं की निगाह फाइनल पर

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Tuesday, August 03, 2021 17:49 PM IST
हॉकी में पुरुष सेमीफाइनल हारे, महिलाओं की निगाह फाइनल पर

टोक्यो, 03 अगस्त। टोक्‍यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष टीम सेमीफाइनल से आगे बढ़ने में नाकाम रही और अब सभी की निगाहें महिलाओं पर टिकी हैं। मंगलवार को पुरुष टीम अंतिम चार के मुकाबले में बेल्जियम से 2-5 से हार गई। बेल्जियम के खिलाफ ओलंपिक सेमीफाइनल में 2-5 की हार निराशाजनक है लेकिन पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह और स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कहा कि टीम के पास इस दिल तोड़ने वाली हार के बारे में सोचने का समय नहीं है क्योंकि उन्हें गुरुवार को होने वाले कांस्य पदक के प्ले आफ मुकाबले पर ध्यान लगाना होगा। आठ बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भारत को मंगलवार को यहां सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम के खिलाफ 2-5 से हार का सामना करना पड़ा।

 

 

मनप्रीत ने हार के बाद कहा कि ‘मेरे लिए अभी चीजें आसान नहीं हैं क्योंकि हम जीतने की मानसिकता के साथ आए थे लेकिन दुर्भाग्य से हम मैच जीत नहीं पाए। अब हमें कांस्य पदक के मुकाबले पर ध्यान लगाने की जरूरत है और हमें यह पदक जीतने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि ‘लंबे समय के बाद सेमीफाइनल में जगह बनाना हमारे लिए सम्मान की बात है लेकिन मुझे लगता है कि अब हमें एकाग्र होने की जरूरत है क्योंकि अगला मैच हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है। हम देश के लिए कांस्य पदक जीत सकते हैं।’ कप्तान ने कहा कि टीम ने इस स्तर पर पहुंचने के लिए पिछले पांच साल में कड़ी मेहनत की और ऐसे में भारत मंगलवार को बेहतर नतीजे का हकदार था।

 

 

उन्होंने कहा कि ‘टीम ने हमेशा कड़ी मेहनत की और एकजुटता दिखाई। यह टीम पिछले चार या पांच साल से एक साथ है। इस स्तर पर पहुंचने के लिए हमने बेहद कड़ी मेहनत की है। हम बेहतर नतीजे के हकदार थे और दुर्भाग्य से आज हम इसे हासिल नहीं कर पाए।’ श्रीजेश भी कप्तान से सहमत हैं और उन्होंने कहा कि बेल्जियम के खिलाफ हार अब अतीत की बात है और टीम को यहां से पदक जीतकर लौटने पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ‘निराश, लेकिन हमारे पास इस बारे में चिंतित होने का समय नहीं है। आपको इस बारे में भूलना होगा और भविष्य के बारे में सोचना होगा। हमारे पास अब भी पदक जीतने का मौका है और इस समय रोने की जगह हमारे लिए यह अधिक महत्वूपर्ण है।’

 

 

श्रीजेश ने कहा कि ‘हमारे लिए यह अधिक महत्वपूर्ण है कि हम भविष्य के बारे में सोचें, मैच देखें, सोचें कि हम कहां हारे, हमने कहां गल्तियां की, इसमें सुधार करें और आगे बढ़ें।’ भारत के सीनियर डिफेंडर रूपिंदर पाल सिंह का भी मानना है कि भारत ने मौजूदा खेलों में सब कुछ नहीं गंवाया है। रूपिंदर ने कहा कि ‘बेशक यह हमारे लिए दिल तोड़ने वाला है, 41 साल बाद सेमीफाइनल में जगह बनाना और हम यहां स्वर्ण पदक जीतने आए थे। यह हमारा लक्ष्य था लेकिन हम आज हार गए। अच्छी चीज यह है कि अगले मैच में हमारे पास तीसरे स्थान पर जगह बनाने का मौका होगा इसलिए हमें इस पर ध्यान लगाना होगा।’ रूपिंदर का मानना है कि टोक्यो में पदक से स्वदेश में खेल को फायदा होगा। उन्होंने साथ ही टोक्यो में सफलता का श्रेय टीम के आत्मविश्वास हो दिया। मनप्रीत और श्रीजेश ने भारतीय महिला टीम को शुभकामनाएं दी जो बुधवार को अर्जेन्टीना के खिलाफ पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल खेलेगी।

 

 

मनप्रीत ने कहा कि ‘उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार खेल दिखाया। हम अर्जेन्टीना के खिलाफ सेमीफाइनल के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। उम्मीद करते हैं कि हम जीत दर्ज करेंगे।’ श्रीजेश ने कहा कि ‘यह शानदार रहा। शुरुआती तीन मैच हारने के बाद लड़कियों ने शानदार टक्कर दी और अगले जीत मैच जीते जो उनके लिए महत्वपूर्ण थे। कल के मैच में आस्ट्रेलिया को हराकर उलटफेर किया और मुझे लगता है कि लड़कियां इस टूर्नामेंट में पदक जीतने में सक्षम हैं।’

 

 

भारतीय महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में इससे पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मास्को ओलंपिक 1980 में रहा था जब वह छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी। महिला हॉकी ने तब ओलंपिक में पदार्पण किया था और मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गए थे जिसमें शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें फाइनल में पहुंची थी।

 

 

बुधवार को भारतीय महिलाएं उस उपलब्धि से आगे निकलकर पहली बार ओलंपिक फाइनल में पहुंचने की कोशिश करेंगी। भारतीय महिला टीम यहां के अपने प्रदर्शन से रैकिंग में सातवें स्थान पर पहुंच गई है जो उसकी अभी तक की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है। लेकिन उसका सामना विश्व में नंबर दो अर्जेंटीना से होगा जो कि पांच साल पहले रियो खेलों में चूकने के बाद ओलंपिक में सफलता हासिल करने के लिये बेताब है। गोलकीपर सविता की अगुवाई में भारतीय रक्षापंक्ति ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहतरीन खेल दिखाया और अपने एकमात्र गोल का अच्छी तरह से बचाव किया। गुरजीत, दीप ग्रेस एक्का, मोनिका और उदिता को लैस लियोन्स जैसी खिलाड़ियों को रोकने के लिये इसी तरह के प्रयास जारी रखने होंगे।

 

 

अर्जेंटीना की महिला टीम ने सिडनी 2000 और लंदन 2012 में रजत पदक जीता था लेकिन अभी तक स्वर्ण पदक हासिल नहीं कर पायी है। वह 2012 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची है। उसने क्वार्टर फाइनल में 2016 के ओलंपिक कांस्य पदक विजेता जर्मनी को 3-0 से हराया था। भारतीय टीम ने हालांकि लगातार तीन हार के बाद लगातार तीन जीत दर्ज की हैं और वह आत्मविश्वास से भरी है। इन दोनों टीमों के बीच हाल के रिकार्ड को देखा जाए तो अर्जेंटीना का पलड़ा भारी लगता है। इस वर्ष ओलंपिक से पहले भारतीय महिलाओं ने अर्जेंटीना का दौरा किया था। भारत ने वहां सात मैच खेले। इनमें से अर्जेंटीना की युवा टीम के खिलाफ उसने दोनों मैच 2-2 और 1-1 से ड्रा कराये।

 

 

भारत इसके बाद अर्जेंटीना की बी टीम से खेला जिसमें उसे 1-2 और 2-3 से हार झेलनी पड़ी। अर्जेंटीना की सीनियर टीम के खिलाफ उसने पहला मैच 1-1 से ड्रा खेला लेकिन अगले दो मैच 0-2 और 2-3 से हार गया। भारतीय कप्तान रानी ने आस्ट्रेलिया पर जीत के बाद कहा था कि ‘हमने सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास बना दिया है और अब हम सेमीफाइनल से आगे के बारे में सोच रहे हैं, क्योंकि हम यहीं पर नहीं रुकना चाहते हैं।’

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