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अब 7 लाख की आय पर नहीं लगेगा टैक्‍स, पढ़े किसे क्‍या मिला

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Wednesday, February 01, 2023 18:03 PM IST
अब 7 लाख की आय पर नहीं लगेगा टैक्‍स, पढ़े किसे क्‍या मिला

नई दिल्ली, 01 फरवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले अपने पूर्ण बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को कर मोर्चे पर राहत दी। इसके तहत नई कर व्यवस्था के तहत सात लाख रुपये तक की आय पर अब कोई कर नहीं लगेगा।.

 

सीतारमण ने बुधवार को संसद में इस सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करते हुए इसका प्रस्ताव किया। इसके अलावा पहली बार नई कर व्यवस्था के तहत भी मानक कटौती के लाभ का प्रस्ताव किया गया है।

 

वित्‍त मंत्री द्वारा प्रस्‍तुत संपूर्ण पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्‍लीक करें.....

Union Budget 2023-24

 

निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत आयकर में व्यापक राहत दी है। बजट में किए गए अप्रत्यक्ष कर संबंधी प्रस्तावों का उद्देश्य निर्यात को प्रोत्साहित करना, घरेलू मूल्यवर्धन को बढ़ावा देना, और हरित ऊर्जा एवं गतिशीलता को प्रोत्साहित करना है।

व्याक्तिगत आयकर

व्याक्तिगत आयकर के संबंध में पांच प्रमुख घोषणाएं की गई हैं। नई कर व्यावस्था में छूट सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई है जिसका मतलब यही है कि नई कर व्यवस्था में 7 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा। नई व्यक्तिगत आयकर व्ययवस्था में कर ढांचे को परिवर्तित कर दिया गया है जिसके तहत स्लैबों की संख्या को घटाकर अब 5 स्लै‍ब कर दिए गए हैं और कर छूट सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है। इससे नई कर व्यवस्था में सभी करदाताओं को व्यापक राहत मिलेगी।

नई कर व्यवस्था में मानक कटौती का लाभ वेतनभोगी वर्ग और पेंशनभोगियों को दिया गया है जिनमें पारिवारिक पेंशनभोगी भी शामिल हैं। प्रस्ताव के अनुसार वेतनभोगी व्यक्ति को 50,000 रुपये की मानक कटौती दी जाएगी और पेंशनभोगी को 15,000 रुपये की मानक कटौती दी जाएगी। अत: 15.5 लाख रुपये या उससे अधिक की आय वाले प्रत्येक वेतनभोगी व्याक्ति को उपर्युक्त प्रस्तावों से 52,500 रुपये का लाभ मिलेगा।

 

नई कर व्यतवस्था में 2 करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले व्याक्तियों के लिए व्यक्तिगत आयकर में उच्चतम अधिभार दर को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके परिणाम स्वरूप व्याक्तिगत आयकर की उच्चतम कर दर घटकर 39 प्रतिशत रह जाएगी जो कि पहले 42.74 प्रतिशत थी। गैर-सरकारी वेतनभोगी कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने पर अवकाश नकदीकरण पर कर छूट सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है। नई आयकर व्यसवस्था ही अब डिफॉल्ट कर व्यवस्था हो गई है। हालांकि,देश के नागरिकों के पास पुरानी कर व्यरवस्था का लाभ लेने का विकल्प भी उपलब्ध रहेगा।

अप्रत्याक्ष कर प्रस्ताव

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट में घोषित किए गए अप्रत्याक्ष कर प्रस्तावों में अपेक्षाकृत कम कर दरों के जरिए कर ढांचे के सरलीकरण पर विशेष जोर दिया गया है, ताकि अनुपालन बोझ को कम करने और कर प्रशासन को बेहतर करने में मदद मिल सके। वस्त्र् और कृषि को छोड़ अन्य वस्तुओं पर मूल सीमा शुल्क की दरों की कुल संख्या 21 से घटाकर अब 13 कर दी गई है। खिलौने, साइकिल, ऑटोमोबाइल और नाफ्था सहित विभिन्न‍ वस्तुओं पर मूल सीमा शुल्क, उपकर और अधिभार में मामूली परिवर्तन किए गए हैं।


मिश्रित संपीड़ित प्राकृतिक गैस पर देय टैक्स पर टैक्स लगाने से बचने के लिए इसमें शामिल जीएसटी की अदायगी वाली संपीड़ित बायो-गैस को उत्पाद शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। सीमा शुल्क से छूट अब इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग होने वाली बैटरियों के लिए लिथियम-आयन सेल के निर्माण के लिए आवश्यक पूंजीगत वस्तुओं और मशीनरी के आयात पर भी दी गई है।

मोबाइल फोन के निर्माण में घरेलू मूल्ययवर्धन को और भी अधिक बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री ने कुछ विशेष कलपुर्जों एवं कच्चेू माल जैसे कि कैमरा लेंस के आयात पर सीमा शुल्क में राहत देने की घोषणा की है। बैटरियों के लिए लि‍थियम-आयनसेल पर रियायती शुल्क अभी एक और साल तक जारी रहेगा। टीवी पैनलों के ओपन सेल के कलपुर्जों पर मूल सीमा शुल्क को घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है। बजट में मूल सीमा शुल्क में परिवर्तन करने का भी प्रस्ताव किया गया है, ताकि शुल्क ढांचे में इन्वर्जन को दुरुस्त किया जा सके और इसके साथ ही इलेक्ट्रिकल किचन चिमनी के विनिर्माण को प्रोत्साेहित किया जा सके।

डिनेचर्डइथाइल अल्कोनहल को मूल सीमा शुल्क से छूट दी गई है। एसिड ग्रेड फ्लोरस्पाकर और क्रूड ग्लिसरिन पर भी मूल सीमा शुल्क को घटा दिया गया है। श्रिम्पो के चारे के घरेलू विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख कच्चे माल पर देय शुल्का को घटाया जा रहा है। लैब ग्रोन डायमंड के विनिर्माण में उपयोग किए जाने वाले सीड पर मूल सीमा शुल्क को घटा दिया गया है। सिल्वर डोर, इसकी छड़ों एवं इससे बनी वस्तुओं पर आयात शुल्क को बढ़ा दिया गया है, ताकि इसे सोने एवं प्लेटिनम पर देय शुल्क के अनुरूप किया जा सके। कंपाउंडेड रबर पर मूल सीमा शुल्क की दर बढ़ा दी गई है। विशिष्ट सिगरेट पर देय राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क को लगभग 16 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।इपीक्लोटरोहाइड्रिन के उत्पादन में उपयोग होने वाले क्रूड ग्लिसरिन पर देयमूल सीमा शुल्क को 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।

कॉमन आईटी रिटर्न फॉर्म

केन्द्रीय बजट में करदाताओं की सुविधा के लिए अगली पीढ़ी का एक कॉमन आईटी रिटर्नफॉर्म भी पेश करने का प्रस्ताव किया गया है। बजट में प्रत्यक्ष करों से जुड़ी शिकायत निवारण व्यपवस्था को मजबूत करने की एक योजना का भी जिक्र किया गया है। वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष कर से जुड़े मामलों में छोटी अपील के निपटारे के लिए लगभग 100 संयुक्त आयुक्तों को तैनात करने की भी घोषणा की है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि इस वर्ष पहले ही प्राप्त किए जा चुके आईटी रिटर्न की जांच करने के मामले में विभाग कहीं अधिक चुनिंदा रुख अपनाएगा।

कर रियायतों को बेहतर ढंग से लक्षित करना

कर रियायतों और छूटों को बेहतर ढंग से लक्षित करने के लिए आवासीय घर में निवेश पर प्राप्त‍ पूंजीगत लाभ पर कटौती के लिए अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपये तय की गई है। बेहद ज्यादा मूल्य वाली बीमा पॉलिसियों की धनराशि पर आयकर छूट की भी अपनी सीमा होगी। केन्द्रीय बजट में प्रत्यक्ष करों के युक्तिकरण और सरलीकरण के संबंध में अनेक प्रस्ताव किए गए हैं।

बजट में किए गए अन्‍य प्रस्‍तावों के तहत आईएफएससी, गिफ्ट सिटी में शामिल किए जाने वाले फंड पर कर लाभ की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है; आयकर अधिनियम की धारा 276ए के तहत कुछ प्रावधानों को अपराधों की श्रेणी से हटा दिया गया है; आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश सहित अन्‍य रणनीतिक विनिवेश पर होने वाले नुकसान को आगे के खाते में डालने की अनुमति दे दी गई है; और अग्निवीर कोष को ईईई दर्जा दिया गया है।

 

एमएसएमई से संबंधित प्रस्‍ताव

एमएसएमई को भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का विकास इंजन बताते हुए बजट में अनुमानित कराधान का लाभ उठाने के लिए सूक्ष्‍म उद्यमों और कुछ विशेष प्रोफेशनलों के लिए बढ़ी हुई सीमा का प्रस्‍ताव किया गया है। भुगतान समय पर प्राप्‍त होने में एमएसएमई को आवश्‍यक सहयोग देने के लिए बजट में एमएसएमई को किए गए भुगतान पर किए गए व्‍यय के लिए कर कटौती का प्रावधान किया गया है, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब भुगतान वास्‍तव में किया जाएगा।

 

सहयोग

बजट में सहकारी क्षेत्र के लिए अनेक प्रस्‍ताव किए गए हैं। अगले साल 31 मार्चतक अपनी विनिर्माण गतिविधियां शुरू करने वाली नई सहकारी समितियों को 15 प्रतिशत की अपेक्षाकृत कम कर दर का लाभ मिलेगा। बजट में चीनी सहकारी समितियों को एक अवसर प्रदान किया गया है जिसके तहत आकलन वर्ष 2016-17 सेपहले की अवधि के लिए गन्‍ना किसानों को किए गए भुगतान का दावा व्‍यय के रूप में किया जा सकता है। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों में नकद जमा और इनके द्वारा दिए जाने वाले नकद ऋणों के लिए प्रति सदस्‍य दो लाख रुपये की ऊंची सीमा मंजूर की गई है।बजट में सहकारी समितियों के लिए नकद निकासी पर टीडीएस के लिए 3 करोड़ रुपयेकी ऊंची सीमा का प्रस्‍ताव किया गया है।

 

स्‍टार्टअप्‍स

बजट में स्‍टार्टअप्‍स को आयकर लाभ देने के लिए इनके गठन की अवधि को 31 मार्च, 2023 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 करने का प्रस्‍ताव किया गया है। बजट में स्‍टार्टअप्‍स की शेयरधारिता में परिवर्तन होने पर नुकसान को आगे ले जाने का लाभ दिया गया है जो कि पहले गठन के 7 साल तक सीमित था और अब इसे बढ़ाकर गठन के 10 साल तक कर दिया गया है।

 

सीजीएसटी अधिनियम में संशोधन

बजट में सीजीएसटी अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्‍ताव किया गया है, ताकि जीएसटी के तहत अभियोजन शुरू करने के लिए कर राशि की न्‍यूनतम आरंभिक सीमा को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया जा सके। इसमें वस्‍तुओं या सेवाओं अथवा दोनों की ही आपूर्ति के बिना ही इनवॉयस जारी करने का अपराध शामिल नहीं है। कंपाउंडिंग राशि को टैक्‍स रकम के 50 से 150 प्रतिशत की मौजूदा रेंज से घटाकर 25 से 100 प्रतिशत कर दिया जाएगा। इससे अधिनियम के कुछ प्रावधानों को अपराधों की श्रेणी से हटा दिया जाएगा, जिनमें किसी अधिकारी के कर्तव्‍य निर्वहन में बाधा डालना एवं उसे रोकना,साक्ष्‍य में जानबूझकर फेरबदल करना, या संबंधित सूचना देने में विफल रहना भी शामिल है।

 

टैक्‍स में किए गए परिवर्तनों का असर

प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष करों में बदलावों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इन प्रस्‍तावों के परिणामस्‍वरूप लगभग 38,000 करोड़ रुपये के राजस्‍व को छोड़ना होगा, जबकि लगभग 3,000 करोड़ रुपये का राजस्‍व अतिरिक्‍त रूप से जुटाया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि अत: इन प्रस्‍तावों की वजह से कुल मिलाकर 35,000 करोड़ रुपये का राजस्‍व हर साल छोड़ना होगा।

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