धर्मशाला(कांगड़ा), 24 मार्च। भाषा-संस्कृति विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत जिला स्तरीय कवि सम्मेलन का आयोजन जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के बैठक कक्ष में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत हिमाचल प्रशासनिक अधिकारी प्रभात शर्मा ने की। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यतिथि के तौर पर उपस्थित उर्दू/गजलकार के प्रसिद्ध साहित्यकार के.के. तूर ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस सम्मेलन में जिला से प्रतिष्ठित/नवोदित कवियों/ साहित्यकारों ने पहाड़ी व हिन्दी भाषा में विभिन्न विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम में के.के. तूर ने अपनी गजल ‘कितने मशहूर हो गये हो क्या, खुद से भी दूर हो गये हो क्या, बातें करते हो और लोगों की, दर्द से चूर हो गये हो क्या’ प्रस्तुत की। चन्द्ररेखा ढडवाल ने भी अपनी कविता की पक्तियां ‘मुझे वंदिशों का जनून सही, मेरा होसला तो बहार है’ प्रस्तुत की। हिप्र विवि के क्षेत्रीय केंद्र मोहली की छात्रा तनू ने अपनी कविता ‘क्यों पूछते हो मेरी किस्मत कैसी है, उन धन लोभी फकीरों से, इतने ही शिदतवान होते तो खुद न बना लेते, अपने हाथों में धन बोशारों की लकीरों को’ प्रस्तुत की। इस सम्मेलन में एचपीयू के क्षेत्रीय केंद्र और केंद्रीय विवि के एमए के शोधार्थीयों ने भाग लिया।
जिला भाषा अधिकारी ने कहा कि हम ऐसे कार्यक्रमों में नवोदित कवियों को जोड़ने व उन्हे मंच प्रदान करने में प्रयासरत हैं ताकि आने वाली पीढ़ी को साहित्य के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों/सात्यिकारों तथा सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. वासुदेव प्रशांत, रेणु, कृतिका, शिव सन्याल, शंकर सन्याल, शिवा पंचकरण, हरि कृष्ण मुरारी, रमेश मस्ताना, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. विवेक शर्मा, कंवर करतार, नवीन चंद व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
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