धर्मशाला(कांगड़ा), 26 मार्च। धर्मशाला के महाविद्यालय के सभागार में कवियों की महफिल ने साहित्य उत्सव को सराबोर कर दिया। कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करते हुए समाज के निर्माण और आगे बढ़ने का संदेश दिया। मानवीय संवेदनाओं को उकरेते शब्दों पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाकर आनंद उठाया।
साहित्य उत्सव में कवि सम्मेलन की शुरूआत करते हुए डॉ. गौतम व्यथित ने देश भक्ति से ओतप्रोत कविता प्रस्तुत कर युवाओं को देश भक्ति का पाठ पढ़ाया। वहीं मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करते हुए कवि, साहित्यकार नवनीत शर्मा के काव्य वाचन के अलग अंदाज ने श्रोताओं को आत्म विभोर कर दिया। कवि नवनीत शर्मा की यह पंक्तियां ‘सब खुश थे सुनकर जंग की बातें, मगर इधर पहरों मुंह में निवाला नहीं गया, यह और है कि उजाला नहीं गया, लेकिन जो दाल में था वो काला नहीं गया’ को श्रोताओं ने खूब सराहा।
कवि पृथी पाल सिंह ने कल्पनाओं को शब्दों में पिरोते हुए कुछ इस तरह से अपने भाव व्यक्त किए ‘सिंचित चिर रातों के तम से, अलसायी पलकों के श्रम से, कोमल सपने कुछ तो बोलो इसी तरह से’, पवन इंद्र गुप्ता ने ‘भूख लगती है रोटी मांगते हैं, इन बुजुर्गों में भी कितना बचपना है’, कवि मधुभूषण ने ‘चलो हम जमीं के करें ख्बाब करें पूरे’ कविता सुनाकर सबको आत्मविभोर कर दिया।
इसके पश्चात शाम ए गजल में भी तारिक मलिक और किशन कुमार के सुर और ताल की लय ने दर्शकों को गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। इस अवसर पर बतौर मुख्यातिथि उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने कवि सम्मेलन के प्रतिभागी कवियों को सम्मानित करते हुए कहा कि कविताएं समाज निर्माण में अहम भूमिका का निर्माण करती हैं, लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी देश भक्ति की कविताओं ने लोगों को जागरूक किया है। इसके साथ सामाजिक बुराइयों को दूर करने में भी कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अहम भूमिका निभाई है।
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