सनातन धर्म के पांच दिवसीय महान पर्व दीपोत्सव की शुरुआत हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल कार्तिक माह की त्रयोदशी से प्रारंभ होता है। इस बार त्रयोदशी का प्रारंभ मंगलवार 2 नवंबर से हो रहा है। 2 नवंबर को ही धनतेरस मनाया जाएगा। बृहस्पतिवार 4 नवंबर को दीपावली है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन ही समुद्र मंथन से भगवान धनंतरी पृथ्वी पर प्रकट हुए थे।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहुर्तः
पूजा समयः शाम 6 बजकर 20 मिनट से रात्रि 8 बजकर 05 मिनट तक
प्रदोष कालः शाम 5 बजकर 19 मिनट से रात्रि 8 बजकर 07 मिनट तक
पंचाग के अनुसार त्रयोदशी 2 नवंबर की सुबह 11 बजकर 30 मिनट से 3 नवंबर बुधवार की सुबह 9 बजकर 01 मिनट तक रहेगी।
धनतेरस के लिए क्या करें-
इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। इससे घर में सौभाग्य वैभव और स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दिन धन के देवता कुबेर की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।
धनतेरस के लिए क्या खरीदें-
सोने-चांदी के सिक्के
आज के दिन माता लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा अंकित सोने या चांदी के सिक्के खरीदना शुभ माना जाता है इससे घर में वैभव आता है।
झाड़ू
झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, अतः इस दिन झाड़ू लाना शुभ माना जाता है जिससे घर की दरिद्रता दूर होता है और घर में संपन्नता आती है।
कमल गट्टे के बीज-
माता लक्ष्मी को कमल का फूल प्रिय है इसलिए कमल गट्टे के 11 बीज इस दिन खरीद का अवश्य लाने चाहिए।
गोमती चक्र-
यदि जीवन के दरिद्रता का नाश नहीं हो रहा है तो 21 गोमती चक्र अवश्य लाएं, इसे लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखें संपन्नता के साथ-साथ उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।
व्यापारी वर्ग-
व्यापार से संबंधित लोगों को अपने खाते-बही, पेन, अवश्य लाने चाहिए। खाते-बही के प्रथम पेज पर अष्टगंध से स्वास्तिक बनाना चाहिए और उसमे कुबेराय नमः, ओम् लक्ष्मी नमः लिखना चाहिए।
धनतेरस की पूजा विधिः
पूजा-अर्चना:
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