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नैतिकता आधार पर 'पद' छोडऩे की मांग पर बवाल

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Sunday, September 27, 2015 12:29 PM IST


मूर्ख मंडली ने जताई घोर आपत्ति, शब्दों में बदलाव की उठाई मांग

बोले, पद एसे ही छोड़ा जाए नैतिकता शब्द की तौहीन न करें

पद छोडऩे की प्रक्रिया लंबी करने से बिगड़ सकता है स्वास्थ्य

मूर्ख सिंह

दिमाग का उजड़ा कोना। मुर्ख मंडली के अध्यक्ष ने नैतिकता शब्द का हर कहीं इस्तेमाल करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। दरअसल उन्हें सबसे बड़ी आपत्ति नेताओं से है। मंडली का कहना है कि नेता आए दिन कह बैठते हैं कि फ्लां को नैतिकता के आधार पर पद छोडऩा चाहिए। मुर्खों के अध्यक्ष ने कहा कि अब 'पद' छोडऩा ही है तो एसे छोड़ दें। नैतिकता को साथ में लेने की क्या जरूरत है। पद है, गैसटिक हो गई होगी कहीं कोने में जाकर छोड़ दें। इसमें नैतिकता को साथ में क्यों जोड़ रहे हैं। किसी ने कुछ किया नहीं कि बोलने लगे नैतिकता के आधार पर छोड़ें पद।


मैं पूछता हूं कि क्या पद कोई मिसाइल या बम है जिसको छोडऩे के लिए नैतिकता जैसे शालीन शब्द का इस्तेमाल किया जाए। हम दिन में कितने पद छोड़ते कभी नैतिकता का इस्तेमाल ही नहीं किया। सोचा तक नहीं कि जिस पद को हम छोड़ रहे हैं उससे हमें या सामने वाले को क्या-क्या फायदे होंगे। सवारियों से भरी बस में भी कई बार लोग पद छोड़ देते हैं। इससे चाहे कोई बेहोश हो जाए या फिर उल्टी कर जाए इन्हें परवाह तक नहीं होती। लेकिन फिर भी इन्होंने नैतिकता शब्द का इसमें इस्तेमाल तक नहीं किया। इसे कहते हैं शब्दों का ज्ञान। यही नहीं इन्होंने कभी नैतिकता पर आंच तक नहीं आने दी। वैसे आप ही बताओ कहां पद और कहां नैतिकता। दूर-दूर तक इसका आपस में इसका कोई नाता नहीं। लेकिन फिर भी शब्द जोड़कर रख दिया है कि नैतिकता के आधार पर छोड़ें पद।


एक तो गैसटिक ऊपर से पहले नैतिकता लाएं फिर पद छोड़ें, इतनी लंबी प्रक्रिया में तो स्वास्थ्य ही खराब हो जाएगा। पहले ही हम एक छोटे से काम के लिए दर्जनों फाइलों के ढेर से होकर गुजरते हैं तब कहीं जाकर हमारे काम होते हैं। अब पद छोडऩे के लिए नेता जिस तरह से नैतिकता की मांग कर रहे हैं वह गलत है। मुर्ख मंडली ने सरकार से आग्रह किया है कि नैतिकता और पद शब्द का इस्तेमाल एकसाथ न किया जाए। नहीं तो मुर्ख इक_ा होकर सार्वजनिक जगह पद छोड़कर इसका विरोध करेंगे।

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दिल्ली से शिमला पहुंचे डेंगू के मच्छर

 

खबरदार, डेंगू के मच्छर बाइयर सोलन से शिमला पहुंच चुके हैं। सुना है उन्होंने एक व्यक्ति को अपना शिकार भी बना दिया है। लेकिन कहा जा रहा है कि जिन मच्छरों ने मरीज को काटा है वो शिमला के नहीं है। वो दिल्ली के हैं। यह खुलाशा खुद शिमला मच्छर एसोसिएशन की अध्यक्ष मच्छरी चाची ने किया है। बताया कि यह मच्छर दिल्ली से सोलन बाइ बस और फिर सोलन से शिमला बाईयर यहां आए हैं।

 


मच्छरी चाची का कहना है कि उनकी सहानुभूति आज भी हिमाचल के लोगों के साथ है। कहा कि भले ही वह दिन में थोड़ा बहुत खून अपने इन भोलेभाले लोगों का पी लेते हैं लेकिन उनको मारने का इरादा न तो उनका रहा न ही कभी होगा। मच्छरी चाची बोली, हम देवभूमि के मच्छर हैं। हम कातिल कैसे हो सकते हैं। जल्द ही हम दिल्ली से यहां पहुंचे मच्छरों को ढूंढकर पुलिस के हवाले कर देंगे। मच्छरी चाची ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि दिल्ली के मच्छरों को भी जहरीला इंसानों ने ही बनाया है। कहा कि मच्छरों के अपने घरेलू वैद्य ने जांच में पाया है कि उनके किसी मच्छर भाई ने किसी जहरीले इंसान का खून पी लिया था इसके बाद यह जहरीलापन अन्य मच्छरों में आया है। एहतियात के तौर पर शिमला के मच्छरों को दवाइयां दे दी गईं है ताकि यहां के मच्छरों में इंसानों वाला जहरीलापन न आए। मच्छरी चाची ने लोगों को सलाह दी है कि वो बकरी दीदी का दूध पीएं ताकि डेंगू जैसे रोग से बच सकें।


-परविंद्र सिंह की फेसबुक वाल से........

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