तपोवन(कांगड़ा),15 दिसंबर। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन सदन में एचआरटीसी की सेहत पर चर्चा की गई। इस चर्चा में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों ने भाग लिया। विधायकों ने सरकार के समक्ष जहां हिमाचल परिवहन निगम की बंद पड़ी बसों को चलाने और मालदार रूट निजी बसों के हवाले करने को लेकर सवाल उठाए, तो वहीं कर्मचारियों की समस्याओं पर गौर करने को लेकर भी सुझाव दिए गए।
प्रदेश विधानसभा के एक मात्र वामपंथी विधायक राकेश सिंघा ने सरकार की मंशा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि एचआरटीसी की बदहाल हालत के लिए मालदार रूटों पर प्राइवेट बसों के संचालन को बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आम आवाम के लिए एचआरटीसी की बसें बेहद जरूरी हैं, लेकिन अगर निगम घाटे में रहता है तो यह सबके लिए चिंता वाली बात है। सीपीएम विधायक ने कहा कि ‘एचआरटीसी अगर नीचे जाती है तो इसके हम दोषी हैं। आज हालत खराब हैं, क्योंकि आपने मालदार रूट तो प्राइवेट बसों को दे दिए हैं।’
सिंघा ने इस दौरान पीस मील वर्करों का मुद्दा भी उठाया और इसे जल्द हल करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि पीस मील के जरिए काम करने की परिपाटी को बंद किया जाए और कर्मचारियों को उनका वाजिब अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
देहरा के विधायक होशियार सिंह ने भी सुझाव दिए। उन्होंने ऊना की तरह मॉडल बस अड्डा बनाने की बात करते हुए कहा कि ऊना की तर्ज पर प्रदेश में और ज्यादा मॉडल बस अड्डे बनाने की जरूरत है। इसमें शॉपिंग मॉल और दुकानें होने से एचआरटीसी के राजस्व में भारी बढ़ोतरी होगी। होशियार सिंह ने एचआरटीसी को समृद्ध बनाने के लिए निगम की वर्कशॉप को प्राइवेट बस सर्विस के लिए भी इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। इसके अलावा एचआरटीसी पेट्रोल पंपों को समेटने और अनफिट कंडक्टरों को वीआरएस देने का सुझाव भी रखा। साथ ही इंटरस्टेट वोल्वो बसों के संचालन का सुझाव दिया।
विधायक जीत राम ने एचआरटीसी बसों के चालक परिचालकों की समस्याएं उठाईं और यह भी कहा कि कोरोना काल के चलते कई बसें बंद हो गई हैं। दूरदराज के इलाकों में बसें बंद होने से आज भी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है। अब छोटी बसों को सड़कों पर उतारने की जरूरत है। निगम के पास बड़ी बसें हैं और सवारियां कम होने के चलते कई रूट बंद कर दिए जाते हैं, अगर 37-37 सीटर बसें हों तो फायदा होगा।
कई अन्य विधायकों ने भी अपनी बात रखी। अधिकतर का यही सुझाव था कि बंद रूटों पर बसें चलाई जाएं, क्योंकि दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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