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कृषकों को प्रशिक्षित कर नई तकनीक अपनाने को प्रेरित करें:सीएम

एफ.आई.आर. लाइव डेस्क Updated on Wednesday, December 01, 2021 17:25 PM IST
कृषकों को प्रशिक्षित कर नई तकनीक अपनाने को प्रेरित करें:सीएम

शिमला/सोलन, 01 दिसंबर। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज शिमला से वर्चुअल माध्यम से डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के 37वें स्थापना दिवस के अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि हिमाचल प्रदेश ने बागवानी क्षेत्र में आशातीत प्रगति की है और यह क्षेत्र कृषि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन में बागवानी क्षेत्र का योगदान लगभग 33 प्रतिशत है और केवल सेब का ही वार्षिक कारोबार पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी क्षेत्र रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में निरन्तर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

 

जय राम ठाकुर ने कहा कि डॉ. वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय जैसे उच्चतर शैक्षणिक संस्थान नवीनतम ज्ञान और तकनीक विकसित करने और कृषि समुदाय तक इनकी पहुंच बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने प्रदेश में बागवानी विश्वविद्यालय की स्थापना में हिमाचल प्रदेश के संस्थापक एवं प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. परमार के अमूल्य योगदान को भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बागवानी क्षेत्र ने बहुत महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान की है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अटल नवाचार सूची में विश्वविद्यालय को ए-ग्रेड दिया गया है और भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा मान्यता प्राप्त कृषि विश्वविद्यालय की सूची में इसे 11वां स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि अपनी स्थापना से अब तक इस विश्वविद्यालय से 7,376 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं और वर्तमान में विश्वविद्यालय के विभिन्न डिग्री कार्यक्रमों के अन्तर्गत 2,627 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने जिला मंडी के थुनाग में बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय भी स्थापित किया है।

 

उन्होंने आग्रह किया कि विश्वविद्यालय प्रशिक्षित मानव संसाधन और नवीनतम तकनीक का सृजन कर इस तकनीक और ज्ञान को किसानों तक पहुंचाए ताकि वे अपनी आय व जीवन स्तर और बेहतर कर सकें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऐतिहासिक नई शिक्षा नीति-2020 के सफलतापूर्वक क्रियान्नवयन के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है। विश्वविद्यालय द्वारा इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक विजन डॉक्यूमैंट भी लगभग तैयार है जिससे विद्यार्थी लाभान्वित होंगे और देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात होगा।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में पयर्टन के साथ बागवानी क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के इको-टूरिजम मॉडल को स्थापित करने के लिए बागवानी और पर्यटन क्षेत्र को मिलकर आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को भी खाद्य प्रसंस्करण की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अधिक से अधिक कृषकों को खाद्य प्रसंस्करण में प्रशिक्षित करें और नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करें ताकि उन्हें अपने उत्पाद के अच्छे मूल्य प्राप्त हो। जय राम ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय में वर्तमान में विभिन्न वित्तीय संस्थानों की 80 से अधिक परियोजनाएं चल रही हैं और पिछले एक वर्ष के दौरान विश्वविद्यालय 7.45 करोड़ रुपये की 18 नई परियोजनाएं प्राप्त करने में सफल रहा है। प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय की विभिन्न परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक तथा एशियन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना एवं भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा 25 करोड़ रुपये की संस्थागत विकास योजना को भी प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान प्रदान किया गया है।

 

उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज सम्मानित होने वाले प्रत्येक जिले के प्रगतिशील किसान अपना ज्ञान और अनुभव अन्य किसानों के साथ साझा करेंगे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आठ करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इलैक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी लैब का भी लोकार्पण किया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविन्दर कौशल ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत करते हुए उन्हें विश्वविद्यालयों की विभिन्न उपलब्धियों से अवगत करवाया।

 

जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर, वन मंत्री राकेश पठानिया और विधायक कर्नल धनीराम शांडिल नौणी विश्वविद्यालय परिसर से और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. राम लाल मारकंडा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. राजीव सैजल, हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रणधीर शर्मा मुख्यमंत्री के साथ शिमला से इस अवसर पर उपस्थित थे। 

 

 महेंद्र ठाकुर का वैज्ञानिकों से आह्वान


जल शक्ति, राजस्व, बागवानी एवं सैनिक कल्याण मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कृषि एवं बागवानी वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे हिमाचल की जलवायुगत परिस्थितियों के अनुसार शोध करें ताकि प्रदेश के किसान-बागवान इससे और अधिक लाभान्वित हों। महेन्द्र सिंह ठाकुर आज डाॅ. यशवन्त सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन के 37वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि वैज्ञानिकों को स्थानीय स्तर पर पौधों में पनपने वाले रोगों की रोकथाम पर गहन अनुसन्धान करना होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में कृषि एवं बागवानी क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है और नौणी स्थित बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहा है।

बागवानी मंत्री ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप यह आवश्यक है कि वैज्ञानिक कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में नवाचार एवं तकनीकी नवाचार के लिए प्रयासरत रहें और इसे खेत तक पहुंचाएं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे जल संरक्षण की दिशा में भी कार्य करें। उन्होंने कहा कि जल का पुनः चक्रण एवं एक-एक बून्द का संरक्षण भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए संजीवनी सिद्ध होगा।

महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कहा कि हिमाचल प्रदेश की पूरे देश में फल राज्य के रूप में विशेष पहचान है तथा इस दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा सत्त प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के निचले क्षेत्रांे में बागवानी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 1688 करोड़ रुपए की परियोजना स्वीकृत की गई है। उन्होंने कहा कि केन्द्र तथा राज्य सरकार किन्नौर जिला के सेब को विश्वस्तरीय ब्राण्ड बनाने के लिए कृतसंकल्प है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत सरकार द्वारा किन्नौर जिला के सेब के लिए 50 करोड़ रुपए की परियोजना आरम्भ की गई है। शिमला जिला के चैपाल क्षेत्र में अखरोट के लिए भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना भी आरम्भ की गई है।  

 

बागवानी मंत्री ने प्रदेश के निचले जिलों में अमरूद, मौसम्मी, लीची, अनार इत्यादि के उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने के लिए वैज्ञानिकों से अनुसन्धान करने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि खुम्भ के अपशिष्ट को बागवानी में प्रयोग करने की दिशा में भी कार्य किया जाना आवश्यक है।

उन्होंने आशा जताई कि विश्वविद्यालय भविष्य में भी देश को श्रेष्ठ वैज्ञानिक प्रदान करता रहेगा।

हिमाचल को सर्वोत्तम फल उत्पादक राज्य बनाएं: राकेश पठानिया

वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने इस अवसर पर कहा कि बागवानी वैज्ञानिकों को हिमाचल प्रदेश को देश का सर्वोत्तम फल उत्पादक क्षेत्र बनाने की दिशा में कार्य करना होगा। इससे जहां किसानों एवं बागवानों की आय में आशातीत बढ़ोत्तरी होगी वहीं प्रदेश की आर्थिकी को भी संबल मिलेगा। उन्होंने आग्रह किया कि मांग और जलवायु के अनुरूप फलों की नई किस्में एवं रूट स्टॉक विकसित करें। उन्होंने कहा कि अनुसन्धान को खेत तक पहुंचा कर ही किसान एवं बागवान को लाभान्वित किया जा सकता है।

 

वन मंत्री ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के 06 प्रकाशनों का विमोचन किया। उन्होंने 14 प्रगतिशील किसानांे सहित विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट छात्रों को भी सम्मानित किया।

सोलन के विधायक डॉ. कर्नल धनीराम शांडिल ने छात्रों को विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंद्र कौशल ने समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट एवं भविष्य की योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की। विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रशान्त सरकैक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर आज़ादी का अमृत महोत्सव व स्वर्ण जयन्ती समारोह से सम्बन्धित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।

प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य डॉ. राजेश कश्यप, भाजपा जिला महामंत्री नंदराम कश्यप एवं अमर सिंह परिहार, जोगिन्द्रा केन्द्रीय सहकारी बैंक के निदेशक बुद्ध राम ठाकुर, पर्यटन प्रकोष्ठ के संयोजक जगदीप सिंह ठाकुर, ग्राम पंचायत नौणी मझगांव के प्रधान मदन हिमाचली, उप प्रधान हरदेव ठाकुर, ग्राम पंचायत नौणी मझगांव के पूर्व प्रधान बलदेव ठाकुर, उपमण्डलाधिकारी सोलन अजय कुमार यादव, पूर्व निदेशक विस्तार शिक्षा ओपी शर्मा सहित छात्र-छात्राएं एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

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