शिमला,15 सितंबर। फोरम अगेंस्ट करप्शन (एफएसी) ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में सहायक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों के पदों के लिए 250 से अधिक शिक्षकों की भर्ती का कड़ा विरोध किया है। एफएसी ने मांग की है कि इन शिक्षकों की भर्ती के लिए अपनाए गए फर्जी तरीके की जांच के लिए उच्च न्यायालय के जज की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया जाए।
एफएसी के संयोजक टिकेंद्र पंवर ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते कहा कि भ्रष्टाचार का पैमाना और भर्ती में प्रक्रियाओं का उल्लंघन इतना बड़ा है कि यह केवल कुछ शिक्षकों की भर्ती से संबंधित नहीं है, बल्कि एक हेजहोग धोखाधड़ी है, जिसका नेतृत्व सत्ता में बैठे लोगों ने किया है, जिसमें बहुत से लोग शामिल हैं। मौद्रिक संदर्भ में रिश्वत। इसलिए न केवल एचपीयू और उसके अधिकारियों से संबंधित अवैधताओं की जांच के लिए एक गहन आयोग की आवश्यकता है, बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्होंने धोखाधड़ी से अनुभव प्रमाण पत्र प्रदान किए हैं।
फोरम का आरोप है कि वर्ष 2014 से शुरू की गई शिक्षकों की भर्ती आज भी जारी है। यह भर्ती एचपीयू अधिनियम में निर्धारित यूजीसी नियमों और कानून के प्रावधानों को धत्ता बताते हुए की जा रही हैं और अब तक करीब 250 शिक्षक रखे गए हैं।
ये हैं नियम
फोरम का आरोप है कि ये नियुक्तियां इस शर्त का उल्लंघन करते हुए की गई हैं और ऐसे उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया है जिनके पास न तो नेट क्वालिफायर था और न ही जरूरी शर्तें पूरी करते थे।
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