ऊना। एचपी-शिवा परियोजना कुटलैहड़ के किसानों के लिए वरदान बन रही है। यहां के किसानों की बंजर पड़ी भूमि पर बागवानी विभाग एचपी-शिवा परियोजना के तहत फलदार पौधे लगाने का कार्य कर रहा है, जिससे किसानों को आय का साधन मिलेगा। कुटलैहड़ विस क्षेत्र में 10 हैक्टेयर भूमि पर सघन खेती तकनीक आधारित फलदार पौधों का रोपण किया गया है। जिसके अंतर्गत किसानों के 9 कलस्टर बनाए गए हैं, जिन पर 2 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की गई है। पौधे रोपने का सारा कार्य उद्यान विभाग की तकनीकी टीम की देखरेख में हुआ है।
एचपी शिवा परियोजना का उद्देश्य फलदार पौधों की आधुनिक तथा वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देना है, जिससे किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सके। जंगली जानवरों तथा बंदरों की समस्या के चलते खेती-बाड़ी छोड़ रहे किसानों को दोबारा बागवानी से जोड़ने के लिए परियोजना के माध्यम से सोलर बाड़बंदी भी की जाती है। शिवा परियोजना से लाभान्वित हुए बौल निवासी जगजीत सिंह बताते हैं "मैं हलवाई का काम करता था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते काम ठप हो गया। जब शिवा प्रोजैक्ट के बारे में पता चला तो, बागवानी विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। परियोजना का लाभ लेते हुए विभागीय अधिकारियों की देखरेख में अपनी बंजर पड़ी लगभग 15 कनाल भूमि पर 550 अमरूद के पौधे लगवाए और बंजर पड़ी भूमि को खेती योग्य बनाया। बागवानी विभाग ने ही सोलर बाड़बंदी भी करवाई।"
बागवानी विभाग पौधे लगाने के बाद उनकी देखरेख के लिए तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है। साथ ही किसानों को खाद व दवाएं भी उपलब्ध करवाई जाती हैं। लाभार्थी केहर सिंह कहते हैं कि बागवानी विभाग के सहयोग से अपनी बंजर पड़ी भूमि पर शिवा प्रोजैक्ट के तहत पौधे लगाए हैं। लगभग 5 कनाल भूमि पर ललिता और श्वेता दो किस्म के अमरूद के 380 पौधे लगाए गए हैं। बंजर पड़ी भूमि से पहले कोई आय नहीं थी, लेकिन अब शिवा प्रोजैक्ट में लगाए गए पौधों से अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है।
शिवा प्रोजैक्ट जैसी आय सृजन परियोजना चलाने के लिए वह मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के साथ-साथ ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर का धन्यवाद करते हैं। एचपी-शिवा परियोजना के तहत 19 जुलाई 2021 में कुटलैहड़ विस क्षेत्र के हंडोला में पौधारोपण का कार्य आरंभ किया गया था और अगले वर्ष तक किसानों के पौधे फल देने लगेंगे, जिससे उन्हें आय प्राप्त होगी। पौधारोपण का कार्य मनरेगा में किया जाता है। बौल निवासी ज्योति व भोला देवी शिवा प्रोजैक्ट के अंतर्गत चल रहे कार्य में काम कर रही हैं। उनका कहना है कि मनरेगा के तहत उन्हें अपने घर के नजदीक काम मिला है। जिसके लिए वह प्रदेश सरकार के आभारी हैं।
किसान को मिलती है 80 प्रतिशत सब्सिडी
उद्यान विभाग के उप-निदेशक अशोक धीमान कहते हैं कि शिवा प्रोजैक्ट के तहत किसानों को फैंसिंग से लेकर पौधे लगाने को गड्ढे करने, खाद, पौधे उपलब्ध करवाने तथा ड्रिप सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए 80 प्रतिशत अनुदान सरकार की ओर से प्रदान किया जाता है, जबकि 20 प्रतिशत ही किसान को वहन करना होता है। उन्होंने कहा कि बौल में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के तहत एक हैक्टेयर भूमि पर लगभग 1800 अमरूद के पौधे रोपित किए गए हैं। कुटलैहड़ में इसके अतिरिक्त नींबू, अनार, मौसमी के कलस्टर भी चयनित किए गए है और उनका परिणाम भी काफी अच्छा रहा है।
विभाग के पौधारोपण के बाद भी किसान को बेहतर लाभ के लिए पौधों की देखभाल सुनिश्चित करनी चाहिए। पौधों की समय-समय पर जांच हो तथा कोई बीमारी लगने पर विभाग से परामर्श लिया जाना चाहिए। फल लगने पर मक्खी-मच्छर से बचाव के लिए अधिकारियों की देखरेख में जैविक व रसायनिक तरीके इस्तेमाल किया जा सका है।
वहीं बागवानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ व एचपी शिवा प्रोजैक्ट के जिला समन्वयक डॉ. एस. एस. चंदेल ने कहा कि एचपी शिवा प्रोजैक्ट के तहत कुटलैहड़ विस क्षेत्र के तहत अमरूद व अनार के 4-4 तथा माल्टा मौसमी का एक कलस्टर तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि अमरूद में श्वेता व ललिता किस्म के पौधे लगाए गए हैं, जबकि टिशुकल्चर से तैयार किए गए पौधे भी रोपित किए गए हैं। इसके अलावा सिंचाई के ड्रिप सिस्टम का भी प्रावधान है, जिसमें आवश्यकता अनुसार पानी उपयोग में लाया जाता है और इससे पानी की बर्बादी भी कम होती है।
एचपी-शिवा प्रोजैक्ट के तहत किसानों को अपनी फसल बेचने में किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करने पडे़ तथा मार्किट में अच्छे दाम मिलें। इसके लिए कुछ कंपनीज़ के साथ समझौता भी किया गया है। साथ ही वैल्यू एडिशन प्रोग्राम के अंतर्गत फल को एकत्रित करने के लिए सेंटर भी बनाए जाएंगे।
अगले वर्ष 200 हैक्टेयर में पौधारोपण का लक्ष्य
ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, मत्स्य व पशु पालन विभाग मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि अगामी वर्ष के लिए शिवा परियोजना के तहत कुटलैहड़ विस क्षेत्र में 200 हैक्टेयर भूमि पर पौधारोपण का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए नए कलस्टरों की पहचान की जा रही है। इस प्रोजेक्ट में सिंचाई विभाग को भी जोड़ा गया है और बागवानों को सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए चैकडैम बनाए जा रहे हैं। जहां-जहां आईपीएच विभाग की सिंचाई स्कीमें हैं, उनका भी इस प्रोजेक्ट के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बागवानों को बाजार उपलब्ध करवाने में भी इस परियोजना के तहत मदद की जाएगी। यह योजना किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में काफी मददगार सिद्ध होगी।
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