लंदन, 24 अगस्त। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अफगानिस्तान के संकट पर जी-7 देशों की आपात बैठक की अध्यक्षता करने से पहले कहा कि तालिबान को उसकी बातों से नहीं उसके काम से आंका जाएगा। डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि बैठक के दौरान, जॉनसन समूह (जी) सात के नेताओं से अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े रहने और शरणार्थियों और मानवीय सहायता को मजबूत करने का आह्वान करेंगे। जी7 देशों में ब्रिटेन के अलावा, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं।
जॉनसन ने कहा कि “हमारी पहली प्राथमिकता, हमारे नागरिकों और पिछले 20 साल में हमारी कोशिश में मदद करने वाले अफगानिस्तान के लोगों को निकालना है, लेकिन जब हम अगले चरण की योजना बनाते हैं तो यह जरूरी हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तौर पर हम साथ आएं और दीर्घावधि के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण पर सहमत हों।”
उन्होंने कहा कि “इसलिए मैंने जी7 की आपात बैठक बुलाई है ताकि तत्काल संकट पर हमारी प्रतिक्रिया का समन्वय किया जा सके और अफगानिस्तान के लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुन:पुष्टि की जा सके।” प्रधानमंत्री ने कहा कि “हमारे साझेदारों और सहयोगियों के साथ मिल कर, हम हर मानवीय और राजनयिक प्रभाव का इस्तेमाल मानवाधिकारों और बीते 20 साल में हासिल उपलब्धियों की रक्षा करने के लिए कर सकते हैं। तालिबान को उसकी बातों से नहीं, उसके काम से आंका जाएगा।”
इस बीच जॉनसन ने बैठक से पहले सोमवार शाम को अफगानिस्तान के संकट पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से बात की। डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा कि “उन्होंने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अपने नागरिकों और अपनी सरकारों के साथ काम करने वाले लोगों को तेजी से और सुरक्षित तरीके से निकालने के ब्रिटेन और अमेरिका के प्रयासों को समन्वित करने पर चर्चा की।” जी7 की बैठक ऑनलाइन होगी जिसमें नाटो और संयुक्त राष्ट्र महासचिवों को भी आमंत्रित किया गया है।
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