नई दिल्ली, 21 सितंबर। दिल्ली की एक अदालत ने अपहरण एवं हत्या के 10 साल पुराने मामले में प्रत्यक्ष प्रमाण के अभाव में चार आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। दिल्ली पुलिस के अनुसार 2010 में दिल्ली के खजूरी खास में शकील नामक एक व्यक्ति को उसकी पत्नी के पूर्व पति, सौतेले बाप, एक अन्य रिश्तेदार एवं एक अन्य व्यक्ति ने उससे शादी करने को लेकर कथित रूप से मार डाला था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने यह कहते हुए चारों को बरी कर दिया है कि उनके विरूद्ध कोई सीधा सबूत नहीं है और पुलिस ने, जो मामला गढ़ा है, वह पूरी तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। न्यायाधीश ने 46 पन्नों के अपने फैसले में कहा कि ‘मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि अभियोजन ने आरोपियों के विरूद्ध जिन अपराधों को लेकर आरोप लगाये हैं, उन्हें वह संदेह से परे जाकर साबित नहीं कर पाया।’ न्यायाधीश ने बिजेंद्र, पवन, तस्लीम अहमद और सलीम को संदेह का लाभ देते हुए अपहरण, हत्या, एवं सबूत नष्ट करने के आरोपों से बरी कर दिया है। सलीम मृतक की पत्नी का पूर्व पति था।
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