धर्मशाला, 11 जनवरी। स्टेट विजिलेंस एंड एंटीक्रप्शन ब्यूरो के धर्मशाला थाना में नगर निगम धर्मशाला के पूर्व मेयर देवेंद्र जग्गी और नगर निगम बनने से पूर्व नगर परिषद धर्मशाला के ईओ रहे महेश दत्त शर्मा के खिलाफ नगर निगम के कार्यालय के साथ लगती नगर निगम की संपत्ति की लीज के मामले में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक षड़यंत्र रचने का मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई नगर निगम के ही पार्षदों की शिकायत के आधार पर की गई है। ब्यूरो के धर्मशाला थाना के एसएचओ एवं अतिरिक्त एसपी बलवीर सिंह जसवाल ने बताया कि इस मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर मामले के आरोपी तत्कालीन ईओ के खिलाफ सरकार से अभियोजन की मंजूरी मिल चुकी है। इसके बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार रोधक अधिनियम की धारा 13(2) के तहत 11 जनवरी को एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच में यह बात सामने आई है कि देवेंद्र जग्गी ने तत्कालीन ईओ की मिलीभगत के चलते नगर पारिषद की प्राइम प्रॉपर्टी को महज 20111 रुपये प्रति माह के किराये पर 25 साल के लिए लीज पर ले लिया और इसी संपत्ति के कागजों पर लोन लेकर गैरकानूरी तरीके से इसमें बदलाव किया और इसे कॉमार्शियल कांप्लेक्स बनाकर लाखों रुपये के किराये पर आगे दे दिया।
उन्होंने बताया कि जांच में पता चला है कि जग्गी ने इस भवन की पहली मंजिल को आईसीआईसीआई बैंक को दूसरी को बजाज अलायंज इंश्योरेंस कंपनी को लीज पर दे दिया। केवल आईसीआईसी बैंक से ही जग्गी को 14.12.2006 से लेकर 31.12.2019 तक कुल 1करोड़ 21 लाख 46 हजार 649 रुपये किराया मिला और वहीं बजाज अलायंज से 01.01.2009 से लेकर 31.12.2019 तक 39 लाख 47 हजार 491 रुपये किराया मिला। इस तरह इन दोनों मंजिलों से ही उसे कुल 1 करोड़ 60 लाख 94 हजार 620 रुपये किराया मिला, तो वहीं नगर निगम को इस समय अवधि में महज 18 लाख 38 हजार 869 रुपये किराया ही प्राप्त हुआ।
वहीं इस मामले के मुख्य आरोपी तत्कालीन ईओ पर आरोप है कि उसने नगर परिषद के कर्मचारियों के लिए वर्ष 2005 में बनाए गए रेस्ट हाउस को लीज पर देने और जग्गी को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों कायदों को दरकिनार किया। इतना ही नहीं रेस्ट हाउस को लीज पर देने के लिए वर्ष 2005 में सदन में जो प्रस्ताव पारित किया गया था, उसमें इसके लिए 30 लाख रुपये सिक्योरिटी और 30 हजार रुपये महीना किराया वसूलने का प्रावधान किया गया था। इसे भी तत्कालीन ईओ ने मिलीभगत से दरकिनार कर दिया। इसके बाद वर्ष 2006 में हाउस में नीलामी करवाने का प्रस्ताव पारित किया गया, मगर इसमें सिक्योरिटी और किराये को लेकर कुछ नहीं लिखा गया, जो पूर्व के प्रस्ताव के अनुसार ही माना जा चाहिए था।
उन्होंने बताया कि देवेंद्र जग्गी को फायदा पहुंचाने के लिए तत्कालीन ईओ ने लीज की नई शर्तें खुद ही तैयार कीं और सदन में मंजूरी के बिना और नियमों को दरकिनार करते हुए रेस्ट हाउस को उस व्यक्ति को देने की व्यवस्था की जो सबसे अधिक बोली लगाएगा। इसके चलते देवेंद्र जग्गी इसकी लीज हासिल कर ली।
पूजा-अर्चना:
सीएम ने मां बगलामुखी मंदिर में शीश नवायाअंशदान:
पुलिस के ऑर्केस्ट्रा हार्मनी ऑफ द पाइंस की टीम ने सुख आश्रय कोष में दिए दो लाखशीश नवाया:
सीएम ने तारा देवी मंदिर में की पूजा-अर्चनाभेंटवार्ता:
मुख्यमंत्री से मिले पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्माभेंटवार्ता:
मुख्यमंत्री ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और एआईसीसी प्रदेश सचिव तेजिंदर पाल सिंह बिट्टू से की भेंट