शिमला, 26 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा नजदीक आते जा रहे हैं, सभी पार्टियों ने जीत दर्ज करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। अब तक चुनाव प्रचार में भाजपा और पहली बार दस्तक देने जा रही आम आदमी पार्टी की मुकाबले कांग्रेस पार्टी काफी ढिली चल रही थी। अब कांग्रेस ने प्रदेश में दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की के स्वर्गवास के बाद प्रदेश कांग्रेस में आगामी चुनावों के लिए तो दूर की बात संगठन को एक करने के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं मिल रहा था। ऐसे में संगठन को बिखराव से बचाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी व मंडी से लोकसभा सदस्य प्रतिभा सिंह को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। इसके साथ ही एक बार फिर से हिमाचल कांग्रेस की राजनीति स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के निवास स्थान हॉलीलॉज से चलती नजर आएगी।
इसके अलावा पार्टी हाईकमान ने नादौन से विधायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया है और वे स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य भी होंगे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से मंगलवार देर शाम नियुक्तियों के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। पार्टी ने चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए हैं। इनमें पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हर्ष महाजन, रेणुकाजी से विधायक विनय कुमार, सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा व कांगड़ा से विधायक पवन काजल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। चारों कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हैं। प्रचार कमेटी की कमान कई दशक तक वीरभद्र सिंह के पास रही थी। वहीं नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री अपने पद पर बने रहेंगे।
उधर, पार्टी हाईकमान ने प्रतिभा सिंह के नाम पर मुहर लगा कर वीरभद्र सिंह समर्थकों को साधने का प्रयास किया है। ज्ञात रहे कि मंडी लोकसभा और प्रदेश के तीन विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बावजूद कांग्रेस आगामी विस चुनावों के लिए एकजुट नहीं हो पा रही थी। इस बीच आम आदमी पार्टी ने दस्तक देकर माहौल को भाजपा और आप के बीच गर्मा दिया था। ऐसे में कांग्रेस हाशिए पर दिखने लगी थी, मगर ताजा बदलाव के बाद कांग्रेस के फिर से मजबूती के साथ ताल ठोकते नजर आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
हाई कमान ने ताजा फैसले में जहां सीएम का चेहरे के मुद्दे पर सभी नेताओं को खामोश करते हुए सबके संयुक्त नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात करके सबको सक्रिय कर दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के नेतृत्व में स्टीयरिंग कमेटी बनाई है। कमेटी में विधायक आशा कुमारी, धनीराम शांडिल, कुलदीप राठौर, विप्लव ठाकुर, हर्षवर्धन चौहान, रामलाल ठाकुर, चंद्र कुमार व सुरेश चंदेल को सदस्य बनाया है। इस कमेटी में प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री और सुक्खू स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगे।
पार्टी ने धनीराम शांडिल की अध्यक्षता में चुनाव घोषणा पत्र कमेटी भी घोषित कर दी है। इस कमेटी में विधायक आशीष बुटेल को उपाध्यक्ष व रोहित ठाकुर को संयोजक का जिम्मा सौंपा गया है। इसी तरह कौल सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में समन्वय समिति घोषित की है। इस समिति में सुरेश चंदेल को उपाध्यक्ष व प्रकाश चौधरी को संयोजक बनाया गया है। चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का जिम्मा पार्टी ने रामलाल ठाकुर को सौंपा है। उनके साथ कुलदीप सिंह पठानिया और अनिरुद्ध सिंह उपाध्यक्ष होंगे, जबकि पूर्व मंत्री स्वर्गीय जीएस बाली के पुत्र रघुवीर सिंह बाली इस समिति के संयोजक होंगे।
कांग्रेस ने पूर्व सांसद विप्लव ठाकुर की अध्यक्षता में अनुशासन समिति बनाई है। इस समिति में कुलदीप कुमार उपाध्यक्ष हैं। प्रचार व प्रकाशन समिति का जिम्मा सुधीर शर्मा को सौंपा है। उनके साथ सोहन लाल ठाकुर उपाध्यक्ष होंगे। आश्रय शर्मा मीडिया व सोशल मीडिया समिति के अध्यक्ष होंगे। राजेश धर्माणी को रिसर्च कमेटी का जिम्मा हाईकमान ने सौंपा है। उनके साथ सुनील शर्मा संयोजक होंगे।
हर्षवर्धन चौहान को कांग्रेस विधायक दल का उप नेता बनाया गया है। जगत सिंह नेगी पार्टी के मुख्य सचेतक होंगे। डा. राजेश शर्मा को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। मदन चौधरी उप कोषाध्यक्ष होंगे। इनके अलावा गंगूराम मुसाफिर, इंद्रदत्त लखनपाल, सुंदर सिंह ठाकुर, रवि ठाकुर व सुरेश कुमार पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष होंगे। संजय अवस्थी, नरेश चौहान, महेश्वर चौहान, हरीश जनार्था, सुरेंद्र चौहान व मोहिंद्र चौहान को पार्टी ने उपाध्यक्ष बनाया है।
प्रतिभा सिंह को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद वीरभद्र सिंह के समर्थक दोबारा सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस ने उपचुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा था। प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद यह तय है कि विधानसभा चुनाव कांग्रेस वीरभद्र सिंह के विकास के माडल पर ही लड़ेगी।
1998 में सक्रिय राजनीति में आईं थीं प्रतिभा सिंह
प्रतिभा सिंह 1998 में सक्रिय राजनीति में आई थीं। उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र अपना पहला चुनाव लड़ा था। भाजपा के महेश्वर ङ्क्षसह ने उन्हें करीब सवा लाख मतों से पराजित किया था। महेश्वर सिंह उनके रिश्तेदार हैं। 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। सरकार 13 माह ही चल पाई। 1999 में लोकसभा का दोबारा चुनाव हुआ। प्रतिभा ङ्क्षसह ने यह चुनाव नहीं लड़ा था। 2004 के आम लोकसभा चुनाव में उन्होंने दूसरी बार चुनाव लड़ा और महेश्वर ङ्क्षसह से 1998 की हार का बदला लेकर वह पहली बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं। 2009 का लोकसभा चुनाव वीरभद्र सिंह ने लड़ा था। 2012 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने लोकसभा सदस्य पद से त्यागपत्र दे दिया था। 2013 में उपचुनाव हुआ तो प्रतिभा तीसरी बार मैदान में उतरीं। जयराम ठाकुर को करीब 1.39 लाख मत से शिकस्त देकर दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुईं थी। इसके सालभर बाद 2014 में लोकसभा चुनाव हुआ था। मोदी लहर में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने उन्हें 39 हजार से अधिक मत से पराजित किया था। प्रदेश में उस समय कांग्रेस सरकार थी।
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