बिलासपुर, 1 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय ने आज संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में सुबह 11 बजे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री की जयन्ती के पूर्व दिवस पर जिला स्तरीय कवि लेखक गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी नीलम चन्देल ने की जबकि मंच का संचालन कविता सिसोदिया ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती का दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। प्रकाश चन्द शर्मा द्वारा मां सरस्वती की वन्दना प्रस्तुत की।
आयोजन दो सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम सत्र में डॉ0 लेख राम शर्मा द्वारा ‘‘ मानवता के प्रेरणा स्त्रोत महात्मा गांधी‘‘ विषय पर शोध पत्र पढ़ा व अमर नाथ धीमान द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री का परिचय‘‘ विषय पर पत्रवाचन किया। बुद्धि सिंह चन्देल ने महात्मा गांधी के कथनों पर लेख पढ़ा। उसके उपरान्त साहित्यकारों द्वारा इन विषयों पर चर्चा - परिचर्चा की।
दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रदीप गुप्ता ने ‘‘बड़े बाबू‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थी- ‘‘शिक्षा विभाग में कार्यरत बड़े बाबू‘‘ उर्फ मंगते लाल की शान निराली है, जो भी करता उसकी सेवा उसके वो हम प्याली है । एन.आर. हितैषी ने ‘‘खाना पीना और फिर सो जाना, बस यही काम था रोजाना‘‘। हेम राज शर्मा ने ‘‘ बापू (गांधी) तुमने देश को नई पहचान दिलाई‘‘। जसबन्त सिंह चन्देल ने‘‘ सब का रक्त लाल होता है‘‘ विषय पर रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थीं- गायं, भैंस, बकरी, ऊंट, घोड़ा, गधा हो या खोता, सबका अपना -2 स्वभाव और कार्य अलग -अलग होता‘‘। बुद्धि सिंह चन्देल ने गांधी विनोद प्रिय भी थे ‘‘अमरनाथ धीमान ने ‘‘इक दिन हऊं चलदा चलदा जाई पुज्या उपर बन्दले री धार, बरखा रा था प्यारा मौसम बरखा री लगुरी थी छम-छम फुहार‘‘। विपिन चन्देल ने ‘‘ वो पाक जमीं है मेरा हिन्दोस्तान, मेरा हिन्दोस्तां‘। महेश्वर चन्देल ने ‘‘ उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिला था‘‘। रामपाल डोगरा ने ‘‘ देखो नजारा कोरोना का‘‘। शिवपाल गर्ग ने ‘‘ जिन्दगी के तकाजे‘‘। सुरेन्द्र मिन्हास ने ‘‘ तुम बिन‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थीं- मैं और तुम दो कहां, हम तो एक ही यारा, तेरे मन की भी मैं जानू, पर तू है मुझे जग से प्यारा‘‘। सन्देश शर्मा ने ‘‘भारत मां की शान थे बापू आर्दशों की उत्थान थे बापू‘‘। अमरावती मोहिला ने सच की लाठी शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। प्रोमिला भारद्वाज ने ‘‘ आदमी से आदमी अब यूं डरने लगा, स्नेह करते थे, संदेह अब करने लगे‘‘। हुसैन अली ने ‘‘बिन संघर्ष जग में कोई महान नहीं होता, तुफानों से घबराने वाला सच्चा इन्सान नहीं होता‘‘। कौशल्या देवी ने ‘‘ नौकरी की चाह, डॉ लेख राम शर्मा ने ‘‘सत्यानित चलते रहना‘‘ कविता सिसोदिया ने ‘‘ जहां पर भी जाता हूं खीचातान चलती है। प्रकाश चन्द शर्मा व सोनिका ने पहाड़ी गीत प्रस्तुत किए।
अंत में जिला भाषा अधिकारी ने सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती के उपलक्ष्य पर विभाग द्वारा भजन संध्या, चित्रकला प्रतियोगिता तथा लेखक गोष्ठी व कवि गोष्ठी का आयोजन विभाग द्वारा किया गया। उन्होने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर प्रकाश डाला एवं उनके आदर्शों को हम सभी को अपने जीवन में अपनाने का आग्रह किया, ताकि नैतिक एव सामाजिक मूल्य का समावेश हम सभी में हो सके तथा स्व लाल बहादुर शास्त्री के जीवन परिचय पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर इन्द्र सिंह चन्देल, रविन्द्र कुमार, प्यारी देवी, इत्यादि श्रोताओं के रूप में शामिल रहे।
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